कह सकते हैं 'मैं देशद्रोही हूं'
बड़ी अजीब स्थिति देश के अंदर, विशेषकर इस मंच पर, अगर आप भाजपा को
छोड़कर किसी भी दल के साथ खड़े होते हैं, चाहे वो गैर राजनीतिक लोगों का
समूह ही क्यूं न हो, तो आप देशद्रोही, या गंदी राजनीति करने वाले होंगे।
राजनीति में अब तक सभी दल एक जैसे लगते थे, लेकिन आम आदमी पार्टी के जरिए आम लोगों को राजनीति में आते देखकर आम आदमी के समर्थन में खड़ा हो गया। अगर आपको पसंद नहीं तो मैं देशद्रोही हूं।
अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान को पसंद करने वाले भी देशद्रोही कह सकते हैं, क्यूंकि मैंने बचपन से अक्षय कुमार को पसंद किया है।
हिन्दी संगीत में मुझे कैलाश खेर अच्छा लगता है। पंजाबी संगीत में गोरा चक्क वाला, राज बराड़ व देबी मखसूदपुरी अच्छा लगता है। अगर यह आपकी पसंद न हो तो आप कह सकते हैं मैं देशद्रोही हूं।
मैं रोबिन शर्मा को पढ़ता हूं, अन्य बहुत सारे लेखकों को पढ़ा, लेकिन मन पसंदीदा रोबिन शर्मा लगा। अगर आपको पसंद नहीं तो कह सकते हैं मैं देशद्रोही हूं।
मैंने बहुत सारे आध्यात्मिक गुरूओं को सुना और पढ़ा। ओशो की बातें ठीक लगी। कुछ सत्य लगी। मैंने ओशो को जब दिल किया, तब सुना। अगर आपको ओशो पसंद नहीं तो आप कह सकते हैं मैं देशद्रोही हूं।
आखिर आपकी पसंद ही तो मेरी पसंद होनी चाहिए थी। मेरे विचारों पर मेरा अधिकार नहीं होना चाहिए था। केवल आपके विचारों से सहमत होना ही तो देशभक्ति है।
राजनीति में अब तक सभी दल एक जैसे लगते थे, लेकिन आम आदमी पार्टी के जरिए आम लोगों को राजनीति में आते देखकर आम आदमी के समर्थन में खड़ा हो गया। अगर आपको पसंद नहीं तो मैं देशद्रोही हूं।
अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान को पसंद करने वाले भी देशद्रोही कह सकते हैं, क्यूंकि मैंने बचपन से अक्षय कुमार को पसंद किया है।
हिन्दी संगीत में मुझे कैलाश खेर अच्छा लगता है। पंजाबी संगीत में गोरा चक्क वाला, राज बराड़ व देबी मखसूदपुरी अच्छा लगता है। अगर यह आपकी पसंद न हो तो आप कह सकते हैं मैं देशद्रोही हूं।
मैं रोबिन शर्मा को पढ़ता हूं, अन्य बहुत सारे लेखकों को पढ़ा, लेकिन मन पसंदीदा रोबिन शर्मा लगा। अगर आपको पसंद नहीं तो कह सकते हैं मैं देशद्रोही हूं।
मैंने बहुत सारे आध्यात्मिक गुरूओं को सुना और पढ़ा। ओशो की बातें ठीक लगी। कुछ सत्य लगी। मैंने ओशो को जब दिल किया, तब सुना। अगर आपको ओशो पसंद नहीं तो आप कह सकते हैं मैं देशद्रोही हूं।
आखिर आपकी पसंद ही तो मेरी पसंद होनी चाहिए थी। मेरे विचारों पर मेरा अधिकार नहीं होना चाहिए था। केवल आपके विचारों से सहमत होना ही तो देशभक्ति है।
- कुलवंत हैप्पी, ब्लॉग लेखक
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
हार्दिक निवेदन। अगर आपको लगता है कि इस पोस्ट को किसी और के साथ सांझा किया जा सकता है, तो आप यह कदम अवश्य उठाएं। मैं आपका सदैव ऋणि रहूंगा। बहुत बहुत आभार।