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सितंबर, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यहां बे 'चारे' दोषी लालू, वहां क्‍या सोचते होंगे जेपी नारायण

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चारा घोटाले में दोषी पाए गए लालू प्रसाद यादव। और रिपोर्टों मुताबिक जेल जाना निश्‍चित है। लालू प्रसाद यादव के लिये जेल जाना कोई नई बात नहीं, लेकिन बस फर्क इतना है कि वे कभी जेपी अंदोलन के कारण जेल जाते थे, और अब वे चारा घोटाले के दोष में जेल जाएंगे। कहते हैं कि लालूप्रसाद यादव, जेपी नारायण के इतने खास थे कि वे लालू प्रसाद यादव को घर चलाने के लिए आर्थिक मदद तक देते थे। इतना ही नहीं, लालू प्रसाद यादव भी जेपी पर अपना कॉपीराइट मानते हैं, तभी तो जब अन्‍ना अंदोलन को जेपी अंदोलन से जोड़कर देखने की कोशिश की जाती है तो सबसे ज्‍यादा विरोधी सुर लालू प्रसाद यादव के होते हैं। आज एक बार फिर जेपी को याद किया जा रहा है, हालांकि जेपी नारायण का जन्‍मदिवस अकसर अमिताभ बच्‍चन के जन्‍मदिवस की सुर्खियों में कहीं छुपा रह जाता है। जेपी, जय प्रकाश नारायण। यह नाम नहीं, एक अंदोलन था। जिसने इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस की जड़ों को उखाड़ फेंका था। उसकी जगह एक गैर कांग्रेसी सरकार को देश चलाने का मौका दिया। यह सरकार जनता पार्टी की थी, जिसका भी लघु नाम लिखा जाये तो जेपी बनेगा, हालांकि इस सरकार में जेपी ने क

fact 'n' fiction : सड़क मेरे मोहल्‍ले वाली

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भारत में सड़क सलामत बन जाये, शायद यह उस सड़क का अपना भाग्‍य होगा, वरना यहां पर सड़क बनने के बाद उस पर कुदाल आदि चलते हैं। पिछले दिनों मेरे मोहल्‍ले वाली सड़क बन गई, सही सलामत। यह उसका अपना भाग्‍य था। सच में उसका भाग्‍य, क्‍यूंकि उसको एक सही सोच वाले अधिकारी का दिमाग मिल गया था। यह पहली सड़क थी, जो सब रीति रिवाज पूरे होने के बाद संपन्‍न हुई। इसलिये यह सलामत बन गई। आप सोच रहे होंगे। यह कैसी पहेली है। पहेली को सुलझाने के लिये एक लघु कथा सुनाता हूं। छोटी कहानी। कहानी शुरू होती है कुछ महीने पहले। एक अख़बार में ख़बर प्रकाशित हुई, मेरे मोहल्‍ले की सड़क बन गई। इस सुर्खी ने कई विभागों की नींद उड़ा दी। बस फिर क्‍या था, दूर संचार, वॉटर सप्‍लाई और बिजली विभाग के अधिकारियों ने कमर कस ली। नई सड़क बनने के बाद के रीति रिवाज पूरे करने के लिये, दूसरे देशों का तो पता नहीं, लेकिन हमारे भारत में यही रीति है, पहले सड़क बनेगी, फिर अन्‍य रीति रिवाज विधिवत संपन्‍न होंगे, जैसे वॉटर सप्‍लाई लाइन, टेलीफोन लाइन व स्‍ट्रीट लाइटिंग पोल। सभी विभाग के कर्मचारी नई बनी सड़क पर पहुंचते हैं। देखते हैं चादर सी पतली

Express Adda : राहुल गांधी के वक्‍तव्‍य - 2013

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 साल 2013 में राहुल गांधी ने कब कहां, क्‍या कहा, जानिये, इस पोस्‍ट में। राहुल गांधी   ने कहा, "कांग्रेस पार्टी दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है लेकिन इसमें बदलाव की ज़रूरत है। मगर सोच-समझ कर। सबको एक साथ लेकर बदलाव की बात करनी है और बदलाव लाना है। प्यार से, सोचसमझ के साथ, सबकी आवाज़ को सुनकर आगे बढ़ना है। वो सबको एक ही आंख से एक ही तरीके से देखेंगे चाहे वो युवा हो, कांग्रेस कार्यकर्ता हो, बुजुर्ग हो या फिर महिला हो।''  राहल ने कहा, " आज सुबह मैं चार बजे ही उठ गया और बालकनी में गया। सोचा कि मेरे कंधे पर अब बड़ी जिम्मेदारी है। अंधेरा था, ठंड थी। मैंने सोचा कि आज मैं वो नहीं कहूंगा जो लोग सुनना चाहते हैं। आज मैं वो कहूंगा जो मैं महसूस करता हूं।" राहुल बोले, "पिछली रात मेरी मां मेरे पास आई और रो पड़ी क्योंकि वो जानती हैं कि सत्ता ज़हर की तरह होती है। सत्ता क्या करती है। इसलिए हमें शक्ति का इस्तेमाल लोगों को सबल बनाने के लिए करना है।" रविवार, 20 जनवरी 2013 राहुल गांधी ने कहा, ''डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है ताकि सच को सामने लाया जा

fact 'n' fiction : नरेंद्र मोदी का चुनावी घोषणा पत्र

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वैसे तो हर बार राजनीतिक पार्टियां या गठबंधन अपना चुनावी घोषणा पत्र चुनावों से पूर्व जारी करते हैं, लेकिन इतिहास में पहली बार 'नरेंद्र मोदी : द मैन इन पीएम रेस' की ओर से अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया गया है। इस चुनावी घोषणा पत्र की एक कॉपी हमारे फर्जी सूत्रों द्वारा उपलब्‍ध करवाई गई है। केंद्र सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान करने वाले नरेंद्र मोदी की ओर से चुनावी घोषणा पत्र युवा पीढ़ी और आम जनता को ध्‍यान में रखकर बनाया गया है। विकास पुरुष की ओर से इसमें विकास संबंधी कोई घोषणा नहीं, जो है वे आपके सामने रखने जा रहे हैं। सोशल मीडिया स्‍वतंत्रता मैं सोशल मीडिया के अस्‍तित्‍व को बरकरार रखने के लिये पुरजोर कोशिश करूंगा। मुझे पता है कि यह एक अभिव्‍यक्‍ति का सशक्‍त प्‍लेटफॉर्म है, बशर्ते कि आप इस तरह की गतिविधियों का संचालन नहीं करेंगे, जिससे मेरी सरकार को ख़तरा पैदा हो। पहले स्‍पष्‍ट कर दूं, मैं मनमोहन सिंह की तरह बेदाग और इमानदार रहूंगा, लेकिन नेताओं की गारंटी लेना मुश्‍िकल है। पांच उंगलियां एक बराबर नहीं होती। हर शहर में लाल किला सोशल मीडिया के अस्‍तित्‍व को बरकरार रखन

ऑस्‍कर 2014 के लिये भेजी एशियाई फिल्‍मों के ट्रेलर

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आधिकारक रूप से 86वें ऑस्‍कर पुरस्‍कार समारोह के लिये सर्वोत्‍तम विदेशी भाषा फिल्‍म श्रेणी के तहत एशियाई मूल की नौ फिल्‍में भेजी गई हैं, जो 2 मार्च 2014 को लॉस एंजिलस के हॉलीवुड जिले में स्‍थित डॉलबाय थियेटर में दिखाई जायेगी। The Good Road भारत की ओर से इस श्रेणी के तहत ज्ञान कोरिया के निर्देशन में बनी गुजराती 'द गुड रोड' को भेजा गया है। इस फिल्‍म की कहानी एक ट्रक चालक व दो बच्‍चों के आस पास घूमती है। ट्रक चालक अपने परिजनों को अपनी जीवन बीमा राशि दिलाने के लिये झूठे सड़क हादसे का पूरा नाटक रचता है। आदित्‍य, जो अपने माता पिता से एक ढाबे पर खाना खाते वक्‍त जुदा हो जाता है। पूनम, जो अपने किसी की तलाश में हाइवे पर पहुंच जाती है। इन दिनों किरदारों के आसपास घूमती कहानी है 'द गुड रोड'। यह राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार जीत चुकी है। अब ऑस्‍कर में कहां तक पहुंचती है, के लिये इंतजार करना होगा। Television बंग्‍लादेश की ओर से इस श्रेणी के लिये टेलीविजन नामक फिल्‍म भेजी गई है, जो एक हिन्‍दु परिवार के संघर्ष पर आधारित है। यह हिंदु परिवार एक अच्‍छे क्षेत्र में रहता है, जहां

fact 'n' fiction : राहुल गांधी को लेने आये यमदूत

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सुबह सुबह का समय था। राहुल गांधी अपने बिस्‍तर पर नींदफरमा थे। आंख खुली तो देखा, उसके बिस्‍तर के पास दो लोग खड़े हैं। राहुल ने चौकते हुए पूछा, आप कौन हैं ? सामने से उत्‍तर आया .. यम ऐम्‍बेसी से आये हैं। राहुल तपाक से बोले ... क्‍या मैं प्रधान मंत्री बन गया ? नहीं.. नहीं.. यमन ऐम्‍बेसी से नहीं, यम लोक वाली ऐम्‍बेसी से आये हैं। तो आप यहां क्‍यूं आये ? राहुल ने परेशानी वाले लिहाजे में पूछा। दरअसल हमारे लोक में एक रियालिटी शो का आयोजन होने जा रहा है। उसी के सिलसिले में आपको लेने आये हैं, आपका नाम राहुल है न ? यम दूतों ने पूछा। राहुल ने हौसला भरते हुये कहा, हां मेरा नाम राहुल है, लेकिन मुझे पता है, आप बिग बॉस बना रहें हैं, जहन्‍नुम का अओ, और जन्‍नत का वओ कंसेप्‍ट पर, लेकिन इस शो में पहले भाग ले चुका राहुल मैं नहीं, वे राहुल महाजन हैं। नहीं.. नहीं ... वो नहीं चाहिए। हम को ऐसा प्रतिभागी चाहिये जो लम्‍बा खेल सके। अच्‍छा.. अच्‍छा.., आपको राहुल द्राविड़ की तलाश कर रहे हैं। हां.... हां... मुझे पता है वे अच्‍छा क्रिकेट खेलते हैं। टेस्‍ट में तो उनको द वॉल का टैग भी मिला हुआ है, तो क्‍या आपक

frank talk : मुजफ्फरनगर दंगों के छींटे दुर्गा एक्‍सल से नहीं जायेंगे अखिलेश

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मुजफ्फरनगर में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी बीजेपी विधायक संगीत सोम ने शनिवार को सरेंडर करते हुए नरेंद्र मोदी को प्रचार हथकंडा अपनाने के मुकाबले में पीछे छोड़ दिया। बीजेपी विधायक संगीत सोम ने ऐसे सरेंडर किया, जैसे वे किसी महान कार्य में योगदान देने के बाद पुलिस हिरासत में जा रहे हों। गिरफ्तारी के वक्‍त हिन्‍दुओं का हृदयसम्राट बनने की ललक संगीत सोम में झलक रही थी। शायद संगीत सोम को यकीन हो गया कि लोक सभा चुनावों के बाद नरेंद्र मोदी सत्‍ता में आयेंगे, जैसे नरेंद्र मोदी एलके आडवाणी के अवरोधों को तोड़ते हुए पीएम पद उम्‍मीदवार (एनडीएम) बने हैं। बीजेपी के विधायक संगीत सोम ने गिरफ्तारी के बाद कहा, मैं अपने धर्म की रक्षा के लिए लड़ता रहूंगा। शायद किसी ने संवाददाता ने पूछने की हिम्‍मत नहीं की कि आखिर आपका धर्म खतरे में कहां है ? अगर भारत में बहुसंख्‍यक धर्म संकट में है तो अल्‍पसंख्‍यक लोगों  में तो असुरक्षा का भाव अधिक होगा। जहां असुरक्षा का भाव है, वहां सुरक्षा के लिए तैयारियां होती हैं, और नतीजा हवा से दरवाजा बजने पर भी अंधेरे में तबाड़तोड़ गोलियां चल जाती हैं। इस नेता की गिरफ्त

विश्‍व की सबसे बड़ी दस कंपनियां

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हम सब ग्‍लोबल इकोनॉमी में रहते हैं। 1962 में कानेडियन दार्शनिक मार्शल मैकलुहान अपनी परिभाषा को 'ग्‍लोबल विलेज' के साथ आगे बढ़े। उन्‍होंने अपनी किताब में इस बात पर प्रकाश डाला कि किस तरह ग्‍लोबल और एक गांव के बीच संबंध स्‍थापित हो रहा है, एक इलेक्‍ट्रोनिक तकनीकी के कारण और जानकारी के तात्कालिक आंदोलन के कारण हर तिमाही पर हर जगह से एक ही समय पर सूचना उपलब्‍ध हो जाती है। इंटरनेट ने हमारे सोचने और सूचना प्राप्‍त करने का तरीका बदल दिया। हम बिजनस कर रहे हो या ट्रेवल, हमको हमेशा एक बात दिमाग में रखनी चाहिए कि हम ग्‍लोबल नेटवर्क में सक्रिय हैं। औद्योगिक क्रांति के कारण बढ़े कंप्यूटर के व्‍यापाक स्‍तर पर इस्‍तेमाल और बढ़ती जरूरतों के लिए व्‍यापाक पैमाने पर बढ़ी माल उत्‍पादन जरूरत ने छोटी कंपनियों को पीछे धकेल दिया, और इस क्रांति के कारण वे विश्‍व की सबसे बड़ी कंपनियों और फैक्‍ट्रियों के समूह बन गये। आज उनके पास लाखों कर्मचारी हैं, और अरबों में उनकी कीमत है। आज आप की मुलाकात विश्‍व की ऐसी दस बड़ी कंपनियों से करवाने जा रहे हैं, जिनका राजस्व बताता है कि उनकी हैसियत कितनी है। वॉक्‍सव

movie review : संतोषी का अंदाज फटा पोस्‍टर निखरा शाहिद

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भले ही फिल्‍म 'फटा पोस्‍टर निकला हीरो' के पोस्‍टर पर गलती से निकला 'निखला' हो गया हो, लेकिन फिल्‍म बनाते वक्‍त फिल्‍म निर्देशक राजकुमार संतोषी ने कोई चूक नहीं की, इसलिये 'फटा पोस्‍टर निकला हीरो' में सब कुछ निखरा निखरा नजर आया। निर्देशक राजकुमार संतोषी, जिनकी 'अंदाज अपना अपना' के दूसरे भाग के लिए दर्शक आंखें बिछाये बैठे हैं, ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आज के समय में भी दो अर्थ वाली शब्‍दावली के इस्‍तेमाल के बगैरह एक अच्‍छी कॉमेडी फिल्‍म का निर्माण हो सकता है। आज भी किरण खेर जैसी मॉर्डन ओवर एक्‍टिंग वाली मां के बिना मां बेटे के रिश्‍ते पर एक फिल्‍म बन सकती है। राजकुमार संतोषी ने पुराने समय की कहानी को चुना, लेकिन स्‍थितियां आज की रखी, और पूरा फोक्‍स महिला शक्‍तिकरण की तरफ था। एक नौजवान को किस तरह दो महिलायें एक योग्‍य पुलिस अधिकारी बनने में मदद करती हैं। फिल्‍म में एक नायक विश्‍वास राव (शाहिद कपूर) की मां पद्मिनी कोल्हापुरे, तो दूसरी प्रेमिका काजल ( इलियाना डीक्रूज )। नायक की मां नायक को इमानदार पुलिस अधिकारी बनते हुये देखना चाहती है

fact 'n' fiction : सोनिया गांधी के नाम मल्‍लिका शेरावत का पत्र

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नमस्‍कार, सोनिया गांधी जी। आज सुबह जब दरवाजे के नीचे से कुछ अख़बार आये, हर सुबह की तरह। मैंने उनको दौड़कर उठाया। शायद किसी सुर्खी में मेरा नाम हो, लेकिन एक सुर्खी ने मुझे पत्र लिखने के लिए मजबूर कर दिया। उस सुर्खी में पूर्व सेना अध्‍यक्ष वीके सिंह का नाम था, और उन पर किसी गुप्‍तचर एजेंसी की स्‍थापना व गलत इस्‍तेमाल करने का आरोप था। सोनिया जी, यह वीके सिंह वहीं हैं ना, जो पिछले दिनों मेरे मूल राज्‍य हरियाणा के रेवाड़ी शहर में नरेंद्र मोदी के साथ नजर आये थे, एक पूर्व सैनिक रैली में। मुझे लगता है शायद उसी कार्य के लिए वीके सिंह सम्‍मानित किये जाने के प्रयासों का हिस्‍सा है यह सुर्खी। और एक संकेत है कि इस तरह के कार्य करने वाले अन्‍य लोगों को भी किसी न किसी रूप से सम्‍मानित किया जा सकता है, मैं सम्‍मानित नहीं होना चाहती, मुझे सम्‍मान पसंद नहीं, क्‍यूंकि मैं तो पहले ही बेरोजगारी का शिकार हूं, सम्‍मान वाले व्‍यक्‍ति तो छोटा मोटा काम नहीं कर सकते। रोजगार पाने के मकसद से तो गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्‍मदिवस पर गीत गाया था, शायद किसी को मेरी आवाज पसंद आ जाये,

fact 'n' fiction : दिग्‍गी सुर्खियों से गैरहाजिर, तो जनपथ होना पड़ा लाइन-हाजिर

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बुधवार की सुबह। सोनिया अपने आवास पर गॉर्डन में टेंशन भरी मुद्रा में घूम रही थी, मानो कोई बड़ा विज्ञापन छूटने के बाद संपादक। बस इंतजार था, बयानवीर दिग्‍विजय सिंह का। कब आयें, कब लेफ्ट राइट सेंटर किया जाये। दरवाजे खुले एक गाड़ी आई। गाड़ी में वो सवार थे, जिनका इंतजार था। पास आये, मैडम का चेहरा और आंखें लाल। साथ आये सलाहकार ने पूछा, मैडम क्‍या गुस्‍ताखी हुई ? जो इतना गुस्‍से में हैं। तुम को शर्म आनी चाहिए, अब गुस्‍ताखी पूछते हो ? अख़बार और टेलीविजन चैनलों से समझ नहीं पड़ता, आख़िर चूक कहां हो रही है ? गुस्‍से में लाल पीली मैडम ने साजो सामान समेत की चढ़ाई। मैडम आप साफ साफ बतायें बात क्‍या हुई, दिग्‍विजय सिंह का सलाहकार बोला। नरेंद्र मोदी ने रेवाड़ी पहुंचकर हम पर हल्‍ला बोला। कोई प्रतिक्रिया नहीं, हमारी ओर से। मोदी का जन्‍मदिवस ऐसे मनाया गया, जैसे देश का कोई उत्‍सव, कोई प्रतिक्रिया नहीं हमारी ओर से। वहां नरेंद्र मोदी बयान के ड्रोन दागे जा रहा है, ताकि हमारा जनपथ ध्‍वस्‍त किया जाये, और आप गुस्‍ताखी पूछते हो ? मुझे बिल्‍कुल पसंद नहीं, पाकिस्‍तान निरंतर सीमा पर हमले करे, और

fact 'n' fiction : entrance exam बाबाओं के लिए 'न बाबा न'

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Picture From myindiapictures.com आध्‍यात्‍िमक गुरूओं पर लग रहे यौन शोषण के आरोपों के कारण कहीं देश की सर्वोच्‍च अदालत वेश्‍यावृत्‍ति संबंधी पूछे गये सवाल की तरह सरकार से इस बार भी न पूछ ले कि अगर आध्‍यात्‍मिक गुरूओं द्वारा किये जा रहे यौन शोषण को रोकना संभव नहीं तो इसको वैधता दे दी जाये। इस बात से डरते हुए देश की सरकार ने इस मामले पर गंभीरता से सोचने का विचार किया है। सरकार चाहती है कि बाबाओं को भी entrance exam से गुजरना चाहिए। इस प्रस्‍ताव पर काल्‍पनिक लोक सभा में पहली बार में नेताओं की राय मांगी गई। मलंगनगर से सांसद मलंग दास ने सुझाव देते हुए कहा कि बाबाओं को कुछ महीनों तक रेड लाइट इलाकों में रखा जाये, और उनके व्‍यवहार पर पैनी निगाह रखी जाये। अगर बाबा बनने के इच्‍छुक आवेदनकर्ता यहां से पास होते हैं तो उनको जर्मनी के उन बीचों पर तीन महीने के लिए छोड़ा जाये, जहां पर महिलायें व पुरुष नग्‍न अवस्‍था में मौज मस्‍ती करते हैं। जर्मन में ऐसे बीच हैं, जहां पर महिलायें और पुरुष नग्‍न अवस्‍था में घूमते मिल जाते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह महिला पुरुष बराबरता के विचार को

trailer review : संजय की रामलीला का ट्रेलर 'फर्स्‍ट क्‍लास'

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निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली की अगली रोमांटिक एक्‍शन ड्रामा फिल्‍म रामलीला का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है। गुजारिश के बाद बतौर निर्देशक लेकर आ रहे संजय लीला भंसाली के लिए यह फिल्‍म बेहद अहम होगी, और फिल्‍म का ट्रेलर देखने के बाद ऐसा लगता भी है कि फिल्‍म को बेहतर बनाने के लिए उन्‍होंने अपना सारा दम खम लगा दिया है। इस फिल्‍म के हर पक्ष पर संजय लीला भंसाली ने अपनी निगाह रखी है। निर्देशन के अलावा लेखन, संगीत निर्देशन और धन लागत आदि में संजय लीला भंसाली का सहयोग है। फिल्‍म में संजय लीला भंसाली ने रणबीर सिंह और दीपिका पादुकोण को एक साथ रुपहले पर्दे पर उतारने की कोशिश की, जो सफल होती नजर आ रही है, क्‍यूंकि ट्रेलर देखने के बाद दोनों सितारे संतुष्‍ट करते हैं।  कहानी भले ग्रामीण पृष्‍ठभूमि से जुड़ी है, लेकिन संवादों में मॉर्डन शब्‍दों का इस्‍तेमाल किया है। कुछ संवाद दो अर्थे हैं, जो शायद युवा पीढ़ी को ध्‍यान में रखकर बनाए गए। फिल्‍म की कहानी लड़के और लड़की व समाज के बीच घूमेगी, ट्रेलर देखने के बाद लगता है कि लड़की और लड़के के किरदारों के बीच नोक झोंक के बाद सच प्

fact 'n' fiction : रेवाड़ी रैली, ताऊ लगता है मोदी मामू बना गया

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शब्‍दी गोला बारूद लाये हो न भाई। हरियाणा के रेवाड़ी शहर में गुजरात के मुख्‍यमंत्री व संभावित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व सैनिकों की रैली को संबोधन किया। इस रैली में नरेंद्र मोदी ने जमकर सीमा पर खड़े जवानों की तारीफ की। खुद को भी श्रेय देने से बिल्‍कुल नहीं चुके। प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार बनने के बाद ज्‍यादा गर्मजोशी में नजर आये। इस मौके पर वन रेंक वन पेंशन की बात की, लेकिन पूर्व सैनिकों को भरोसा नहीं दिलाया कि वे सरकार बनने पर उसके लिए कुछ खास करेंगे। नरेंद्र मोदी ने पूरा ध्‍यान सीमा पर खड़े जवानों पर लगा दिया। पूर्व सैनिक सोच रहे थे, शायद आज गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी और संभावित प्रधानमंत्री कुछ ऐसी घोषणा करेंगे, जो उनके दर्द को कम करेगी, लेकिन नरेंद्र मोदी ने संप्रग को वन रेंक वन पेंशन पर श्‍वेत पत्र लाने की सलाह देने के अलावा कुछ नहीं दिया। रोजगार की बात करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम को हथियार इम्‍पोर्ट करने बंद करने चाहिए, हमको भारत में हथियार बनाकर बेचने चाहिए। इसके लिए कॉलेजों में विशेष कोर्सों का प्रबंधन किया जाये। नरेंद्र मोदी की इस रैली के बाद

fact 'n' fiction : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जगह लेंगे एलके आडवाणी

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यह फाइल फोटो है, जो गूगल सर्च के जरिये प्राप्‍त हुई। भारतीय जनता पार्टी द्वारा हाशिये पर धकेल दिए गए नेता एलके आडवाणी बहुत जल्‍द संप्रग सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जगह लेंगे, हालांकि इस मामले में आधिकारिक मोहर लगना अभी बाकी है। गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदीमय हुई भारतीय जनता पार्टी द्वारा दरकिनार कर दिए गए नेता एलके आडवाणी की ओर से अधिवक्‍ता फेकु राम भरोसे ने संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन की कोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए मांग की है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शेष बचे हुए कार्यकाल का पूरा जिम्‍मा देश के सशक्‍त व सीनियर नेता एलके आडवाणी को सौंपा जाये, ताकि आजाद भारत के नागरिकों राजनीति पर भरोसा बना रहे। वरना, उनको लगेगा कि यहां पर करियर नाम की कोई चीज नहीं है। राजनीति में सपने देखने वाले बर्बाद हो जाते हैं। अगर ऐसी धारणा एक बार बन गई तो आपका सबसे बड़ा राजनीतिक दुश्‍मन नरेंद्र मोदी जीत जायेगा, जिसने पिछले दिनों कहा था कि सपने देखने वाले बर्बाद हो जाते हैं। सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि याचिकाकर्ता के वकील ने संप्रग अदालत के सामने दलील पेश

First Look : फ्रैंकफर्ट में नई कारों का जमघट

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रेनॉल्‍ट की इल्‍केट्रिक कार रेनॉल्‍ट ट्विजी जर्मन के पांचवें सबसे बड़े शहर फ्रैंकफर्ट में इंटरनेशनल ऑटोमोबाइल एग्‍जीबिशन शुरू होने में केवल दो दिन शेष हैं।फ्रैंकफर्ट में आयोजित होने वाले इस ऑटो शो से पहले दस सितंबर को मीडिया के लिए प्रीव्‍यू डे का आयोजन किया गया, जहां पर दुनिया भर के कार निर्माताओं ने अपने नये मॉडल से पर्दा उठाया। शरीर की कुल हड्डियों से मात्र एक कम पर्यटन स्‍थलों को अपनी बांहों में समेटे हुए शहर फ्रैंकफर्ट में 14 सितंबर से 22 सितंबर तक इस ऑटो शो का आयोजन किया जाएगा।  Image Courtesy : darkroom.baltimoresun.com जर्मन कार निर्माता वॉक्‍सवेगन कंपनी की इलेक्‍ट्रिक कार ई अप। जर्मनी में शुरू हुए इंटरनेशनल मोटर शो में रेनॉल्‍ट स्‍पार्क एसआरटी 01ई एफआईए फॉर्मूला ई रेस कार की पहली झलक। बुगती का नया मॉडल जीन बुगती का ऑडी क्‍वाट्रो स्‍पोर्ट कन्‍सेप्‍ट हाईब्रिड कार फेरारी के चेयरमैन लूका कॉर्डेरो दी मोंटेजेमोलो फेरारी का नया मॉडल फेरारी 458 प्रस्‍तुत करते हुए। इंटरनेशनल ऑटोमोबाइल प्रदर्शनी में इंफिनिटी क्‍यू 30 कन्‍सेप्‍ट कार की

fact 'n' fiction : सुशील कुमार शिंदे के निर्देशन में बनेगी 'डी - डे' रीमेक

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निखिल अडवाणी, एक युवा फिल्‍म निर्देशक हैं। बॉलीवुड में 'कल हो न हो' से जोरदार दस्‍तक दी। दूसरी बार सलामे इश्‍क से दीदार हुआ, तो न सलाम हुआ, न इश्‍क हुआ। बड़े सितारों की अधिक चमक के नीचे दब गया निर्देशन का आसमान, लेकिन अगला साहसिक कदम 'चांदनी चौंक टू चाइना' के रूप में भरा, जो एक यादगार फिल्‍म निकली। जिसे फिल्‍म निर्माता एक बेहद बुरी घटना के रूप में याद करेंगे, और बच्‍चे एक मनोरंजक व इनवेंशनल फिल्‍म के रूप में। बच्‍चे जब जवां होंगे, वो कहीं भी होंगे, निर्देशक निखिल आडवाणी की इस फिल्‍म को याद जरूर करेंगे, अगर उस समय पैर की किक से मानव उड़ रहे हुए तो, क्‍यूंकि निखिल आडवाणी ने 'चांदनी चौंक टू चाइना' में मिथुन दा की किक से अक्षय कुमार को बहुत उड़ाया, और आज कल अक्षय कुमार मिथुन दा के करियर को उड़ान दे रहे हैं, अपनी हर फिल्‍म में मिथुन दा को जगह देकर। इसके अलावा इस फिल्‍म के जरिये निखिल ने काफी अन्‍वेंषण किए हैं, जैसे कि छाते को पैराशूट में बदलने, यंत्रों से भाषाओं को ट्रांसलेट करने आदि। अब निखिल आडवाणी की हालिया रिलीज 'डी-डे' भी एक यादगार फ

Inspirational Story : असम की डॉ.संयुक्‍ता पराशर का 'पेशन'

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जेएनयू की छात्रा रही डॉ.संयुक्‍ता पराशर, जो कि असम की पहली आईपीएस महिला अधिकारी हैं, जिनके पास आईएएस बनने का मौका था, लेकिन उसने खाकी पहनना अधिक बेहतर समझा, क्‍यूंकि उन्‍हें लगता है कि पीड़ित को खाकी वाले सादी यूनिफॉर्म से ज्‍यादा मददगार साबित हो सकते हैं। असम सेहत सर्विस में कार्यरत मीना देवी और सिंचाई विभाग में बतौर इंजीनियर दुलाल चंद्रा बरुआ के घर जन्‍मीं डॉ. संयुक्‍ता ने शुरूआती पढ़ाई गुवाहटी से की। खेल कूद व अन्‍य गतिविधियों में भाग लेने वाली संयुक्‍ता ने स्नातक स्तर की पढ़ाई नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से की। शुरूआती दौर में, उसको कम अंक होने के कारण छात्रावास में रहने की अनुमति नहीं मिली, हालांकि उसके बाद उसने अच्‍छे अंक प्राप्‍त किए, और उसको छात्रावास में रहने की अनुमति मिल गई।  इसके बाद उसने जेएनयू ज्‍वॉइन किया, और अपनी मास्‍टर डिग्री, जोकि अंतरराष्‍ट्रीय रिश्‍तों पर थी, को पूरा किया।  जब संयुक्‍ता ने यूपीएससी के इम्‍तिहानों की तैयारी शुरू की तो उसके पास पढ़ाई के लिए पांच घंटों से अधिक का समय नहीं था। वे एक संस्‍था ऑब्‍जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के लिए काम भी कर रहीं थी