आईपीएल तो हैडर स्पेस खा गई
आईपीएल कवरेज तो ज्यादातर अख़बारों के हैडर खा गया, लेकिन उस छात्र की ख़बर पहले पन्ने पर भी नहीं आई, जो उस शहर में पुलिस लाठीचार्ज के दौरान मारा गया, जहां आईपीएल का प्रोग्राम था। बड़ी अजीबोगरीब हो गई मीडियाई बंदों की सोच।
टाइटल स्पेस भी बेच डाली लगता है मीडिया ने, वरना मुफ्त इतना प्रमोशन तो मीडिया खुद का नहीं करता। मगर दैनिक भास्कर ने पुराने तौर तरीके को बरकरार रखते हुए पहले दो पृष्ठ विज्ञापन के लिए छोड़े, मगर दूसरे मीडिया वाले तो खुद के हैडर को भी बेच गए। सभी हिन्दी न्यूजपेपरों ने हैडर के नीचे दिया है समारोह का पिक्चर यह तो संकेत करता है कि यह टोटल एक एड कंपनी द्वारा प्रायोजित किया गया पेज है, किसी संपादक द्वारा नहीं।
टाइटल स्पेस भी बेच डाली लगता है मीडिया ने, वरना मुफ्त इतना प्रमोशन तो मीडिया खुद का नहीं करता। मगर दैनिक भास्कर ने पुराने तौर तरीके को बरकरार रखते हुए पहले दो पृष्ठ विज्ञापन के लिए छोड़े, मगर दूसरे मीडिया वाले तो खुद के हैडर को भी बेच गए। सभी हिन्दी न्यूजपेपरों ने हैडर के नीचे दिया है समारोह का पिक्चर यह तो संकेत करता है कि यह टोटल एक एड कंपनी द्वारा प्रायोजित किया गया पेज है, किसी संपादक द्वारा नहीं।
जिस तरह अब प्रचार कंपनियों का हस्तक्षेप संपादक इलाके में प्रभाव छोड़ता हुआ नजर आ रहा है, आने वाले समय में लगता संपादक केवल कुछ दिनों के लिए समाचारों को कैसे और कहां प्रकाशित करने की सलाह देंगे, बाकी दिन विज्ञापन दाता कंपनियां फैसला करेंगी। हो सकता है कि किसी दिन आपके घर आने वाला अख़बार पूरी तरह विज्ञापन से भरा हो।
हर कोई अपनी कीमत लगवा रहा है !!
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