शिवानी भटनागर से गीतिका शर्मा तक

गीतिका शर्मा ने आत्‍महत्‍या कर ली और उसको इंसाफ दिलाने के लिए कुछ लोगों ने कमर कस ली, क्‍योंकि आरोपी हरियाणा कांग्रेस सरकार में मंत्री है। गीतिका शर्मा की तस्‍वीर देखने के बाद मुझे पहले तो फिजा की याद आई, फिर मुझे उस वक्‍त की याद आई, जब मैं मीडिया जगत में कदम रख रहा था, उन दिनों भी एक ऐसा की केस चर्चाओं में था, मगर उस केस में महिला की हत्‍या की गई थी, जो मीडिया जगत से संबंध रखती थी, उसका नाम था शिवानी भटनागर। शिवानी भटनागर के केस में कई किस्‍से सामने आए, जिनमें एक था पुलिस अधिकारी आरके शर्मा से अवैध संबंधों का। आज उस बात को कई साल बीत गए, मगर गीतिका की मौत ने एक बार फिर उस याद को ताजा कर दिया, जो कुछ दिन पहले जिन्‍दगी को अलविदा कह कर इस दुनिया से दूर चली गई, पीछे सुलगते कई सवाल छोड़कर, जिनका उत्तर मिलते मिलते सरकारी कोर्टों में पता नहीं कितना वक्‍त लग जाएगा।

आज गीतिका शर्मा के लिए इंसाफ की गुहार लगाई जा रही है, आरोपों के दायरे में है एक मंत्री। शायद इस लिए यह केस हाइप्रोफाइल हो गया। इन दिनों एक और घटना घटित हुई, जिसमें फिजा ने पंखे से लटक कर अपनी जान दे दी। इसके तार भी एक नेता से जुड़े हुए हैं। तीनों केस हाईप्रोफाइल हैं, और महिलाओं की मौत से जुड़े हुए हैं। मैं आरोपियों की पैरवी नहीं कर रहा, मगर फिर भी पूछना चाहूंगा कि ऐसे मामलों में केवल पुरुषों को ही दोषी माना जाना चाहिए ?  क्‍या उन बालाओं को हम दोषी नहीं ठहराएंगे, जो पुरुषों का इस्‍तेमाल करते हुए शिखर की तरफ बढ़ना चाहती हैं? एवं एक वक्‍त पर आकर उनको कुछ समझ नहीं आता कि अब किसी ओर जाया जाए।

मैं मीडिया जगत से संबंध रखता हूं, ऐसे में काफी जगहों पर आना जाना होता है। इस आने जाने में एक चीज तो देखी है कि लड़कों से ज्‍यादा लड़कियां महत्‍वकांशी होती हैं, कुछ करने का जानून, उनको कब किसी ओर ले जाता है, कुछ भी समझ नहीं आता। मगर इस जानून के साथ वो लड़कियां अपनी जिन्‍दगी खो देती हैं, जो जानून के साथ साथ भावुक हो जाती हैं। मैं सब लड़कियों को दोषी नहीं ठहरा रहा, मगर उन लड़कियों को दोषी जरूर मानता हूं, जिनको शॉर्टकट पसंद है। इसके लिए कभी बॉस का सहारा लिया जाता है, कभी आरके शर्मा जैसे पुलिस अधिकारियों का, तो कभी चांद मोहम्‍मद जैसे लोगों का।

जब हम किसी का इस्‍तेमाल कर रहे होते हैं, तो हम यह भूल जाते हैं कि कहीं न कहीं वो भी हमारा इस्‍तेमाल कर रहा है। ऐसे में वो लड़कियां अपनी जान गंवा बैठती हैं, जो बाद में बात दिल पर लगा बैठती हैं। हद से ज्‍यादा कोई किसी पर यूं ही मेहरबान नहीं होता। एक रिपोर्ट में पढ़ा था कि शिवानी भटनागर एक वरिष्‍ठ पत्रकार बनने से पहले जब प्रशिक्षु थी, तो उन्‍होंने अपने सीनियर पत्रकार से शादी की जबकि दोनों की आदतों में बहुत ज्‍यादा अंतर था। उस पत्रकार एवं पति की बदौलत उसको मीडिया में वो रुतबा हासिल हुआ, जो बहुत कम समय में मिलना बेहद मुश्‍िकल था।

इस दौरान उसकी दोस्‍ती पुलिस अधिकारी आरके शर्मा से हुई। दोस्‍ती हदों से पार निकल गई। अंत शायद वो मौत का कारण भी बन गई। फिजा की बात करें तो फिजा कौन थी, एक अधिवक्‍ता अनुराधा बाली। मगर राजनीति के गलियारों में पैठ बनाने के लिए मिला एक शादीशुदा चंद्रमोहन मुख्‍यमंत्री का बेटा। दोनों ने शादी भी कर ली चांद फिजा बनकर। मगर जब फिजा दुनिया से रुखस्‍त हुई तो अफसोस के सिवाय उसके पास कुछ नहीं था।

गीतिका शर्मा ने आत्‍महत्‍या पत्र में गोपाल कांडा एवं कुछ अन्‍य व्‍यक्‍ितयों को दोषी ठहराया है। मगर गीतिका शर्मा की जिन्‍दगी पर ऐसा कौन सा बोझ आ पड़ा था, जो जिन्‍दगी को अलविदा कहकर मौत को गले लगाना पड़ा। गीतिका शर्मा का मामला कोर्ट में है, और पता नहीं कितने दिन चलेगा।

इंसाफ की गुहार लगाने वाला मीडिया गीतिका शर्मा की जन्‍म कुंडली टोटलना शुरू करेगा। कई आरोप, कई अफवाहें बाजार में आएगी। गीतिका शर्मा की आत्‍महत्‍या के पीछे अगर गोपाल कांडा एवं अन्‍य व्‍यक्‍ितयों का हाथ है तो कारण भी ढूंढे जाएंगे कि गीतिका पर ऐसा कौन सा दबाव बनाया जा रहा था, जिसके कारण वो मौत की आगोश्‍ा में सदा के लिए विश्राम करने चली गई।

बस चलते चलते इतना ही कहूंगा कि गीतिका को इंसाफ मिले। आरोपियों को सजा। और इस तरह की घटनाओं को कैरियर बनाने की होड़ में लगी लड़कियों को नसीहत। जिन्‍दगी से बड़ा कुछ नहीं।

टिप्पणियाँ

  1. दो दो हरिणी हारती, हरियाणा में दांव |
    हरे शिकारी चतुरता, महत्वकांक्षा चाव |

    महत्वकांक्षा चाव, प्रेम खुब मात-पिता से |
    किन्तु डुबाती नाव, कहूँ मैं दुखवा कासे |

    करे फिजा बन व्याह, कब्र रविकर इक खोदो |
    दो जलाय दफ़नाय, तड़पती चाहें दो-दो ||

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  2. ऐसी बालाओं के आगे दो ही रास्ते बचते है एक वेश्यावृति और दूसरा मौत|
    ऐसी महिलाओं के लिए न्याय मांगने वालों की मानसिकता के बारे में भी क्या कहूँ ? हां मुझे ऐसी चरित्रहीन लड़कियों से कोई हमदर्दी नहीं|
    आज गीतिका का भाई चीख चीख कर टीवी पर न्याय मांग रहा है पर वह उस दिन कहाँ गया था जब उसकी बहन एमबीए करने के लिए कांडा से साढ़े सात लाख रूपये लाइ थी ?
    आज न्याय की भीख मांगने वाले परिवार ने उस वक्त यें क्यों नहीं सोचा जब वे कांडा के साथ घूमने जाते थे?
    एक मामूली सी एयर होस्टेट जब कंपनी की डायरेक्टर बना दी गयी तब उसके परिवार वालों ने अपना दिमाग क्यों नहीं लगाया कि इस तरक्की के पीछे राज क्या है ?

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