ए अग्‍नि

कहीं तुम्‍हें बुझाने का
हो रहा है प्रयास
कहीं तेरी सलामती की
होती है अरदास
कहीं करे सृजन तू
कहीं करे विनाश
ए अग्‍नि,
तू वैसे ही दिखे
जैसे पहने लिबास


टिप्पणियाँ

  1. बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ... सुंदर भाव अभिव्यक्ति...!!!

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  2. लिबास का ही प्रभाव होता है ...

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  3. **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
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    बेहतरीन रचना


    दंतैल हाथी से मुड़भेड़
    सरगुजा के वनों की रोमांचक कथा



    ♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥

    ♥ पढिए पेसल फ़ुरसती वार्ता,"ये तो बड़ा टोईंग है !!" ♥


    ♥सप्ताहांत की शुभकामनाएं♥

    ब्लॉ.ललित शर्मा
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