किस तरह हंसते हो
शाबाद अहमद की कलम से किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो मैं तो जब भी हंसता हूं, तो रूखसार फड़क जाते हैं जिनसे मेरे गेंसु गिले हुए जाते हैं हौंसले जिनसे मेरे ढीले हुए जाते हैं मेरी मुश्किल का कोई तो हल बता दो यारो मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो आज गमगीन हूं, किस्मत ने बहुत मारा है और मजलूम को आहों ने भी ललकारा है किस तरह कटेगी जिन्दगी, यही गम सारा है गम के म्यूजियम में मुझ को सजा दो यारो आज शादाब को गीत गमगीन सुना दो यारो मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो