संदेश

जून, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

किस तरह हंसते हो

शाबाद अहमद की कलम से किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो मैं तो जब भी हंसता हूं, तो रूखसार फड़क जाते हैं जिनसे मेरे गेंसु गिले हुए जाते हैं हौंसले जिनसे मेरे ढीले हुए जाते हैं मेरी मुश्‍किल का कोई तो हल बता दो यारो मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो आज गमगीन हूं, किस्‍मत ने बहुत मारा है और मजलूम को आहों ने भी ललकारा है किस तरह कटेगी जिन्‍दगी, यही गम सारा है गम के म्‍यूजियम में मुझ को सजा दो यारो आज शादाब को गीत गमगीन सुना दो यारो मुझको भी हंसने की तरकीब सुझा दो यारो किस तरह हंसते हो तुम लोग बता दो यारो

ए अग्‍नि

कहीं तुम्‍हें बुझाने का हो रहा है प्रयास कहीं तेरी सलामती की होती है अरदास कहीं करे सृजन तू कहीं करे विनाश ए अग्‍नि, तू वैसे ही दिखे जैसे पहने लिबास

वो रुका नहीं, झुका नहीं, और बन गया अत्ताउल्‍ला खान

घर में संगीत बैन था। माता पिता को नरफत थी संगीत से। मगर शिक्षक जानते थे उसकी प्रतिभा को। वो अक्‍सर मुकेश व रफी के गीत उसकी जुबान से सुनते और आगे भी गाते रहने के लिए प्रेरित करते। वो परिवार वालों से चोरी चोरी संगीत की बारीकियों को सीखता गया और कुछ सालों बाद घर परिवार छोड़ कर निकल पड़ा अपने शौक को नया आयाम देने के लिए, और अंत बन गया पाकिस्‍तान का सबसे लोकप्रिय गायक जनाब अताउल्‍ला खान साहिब। अताउल्‍ला खान साहिब की पाकिस्‍तानी इंटरव्‍यू तक मैं सादिक साहिब की बदौलत पहुंचा, जिन्‍होंने 35000 से अधिक गीत लिखे और नुसरत फतेह अली खान साहिब व अत्ताउल्‍ला खान के साथ काम किया। सादिक साहेब ने हिन्‍दी, पंजाबी एवं ऊर्द में बहुत से शानदार गीत लिखे, जो सदियों तक बजाए जाएंगे। बेवफा सनम के गीत सादिक साहेब के लिखे हुए हैं, जो जनाम उत्ताउल्‍ला खान ने पाकिस्‍तान में गाकर खूब धूम बटोरी थी, और उनकी बदौलत ही वो गीत भारत में आए। सादिक साहेब कहते हैं कि खान साहिब ने उनको सौ गीत लिखने के लिए कहा था, और उन्‍होंने करीबन तीन चार घंटों में लिखकर उनके सामने रख दिए, जो बेहद मकबूल हुए पाकिस्‍तान और हिन्‍दुस्‍तान में।