मुलाकात :- रिचर्ड ब्रॉनसन; जब खरगोश खा गए पेड़

 कल रात करीबन दो घंटों तक रिचर्ड ब्रानसन से बातचीत की। बेहद रोचक व्‍यक्‍ित हैं रिचर्ड ब्रानसन। दुनिया उनको एक बिजनसमैन के रूप में जानती है या फिर यूके के सबसे अमीर चौथे व्‍यक्‍ित के रूप में। वर्जिन ग्रुप के मालिक हैं रिचर्ड ब्रानसन।

कहीं आप यह तो नहीं सोच रहे कहां राजा भोज कहां गंगू तेली। मतलब कहां रिचर्ड ब्रानसन और कहां मैं। यह बात भी सच है, उसको हिन्‍दी नहीं आती और मुझे फराटेदार इंग्‍लिश। फिर भी हैरत की बात यह है कि मैंने उनको दो घंटों तक पूर्ण रूप से सुना और उनको समझा। वो मेरे सामने थे, उनकी आवाज मेरे कानों के पर्दो से गुजरती हुई मेरे मन और दिमाग पर अपना असर छोड़ रही थी। मैं सोच रहा था, इतना बड़ा बिजनसमैन। और हरकतें ऐसी करता है जैसे वो अभी अभी युवा हुआ हो। मैं फिर कहता हूं बेहद रोचक व्‍यक्‍ित। दिलचस्‍प व्‍यक्‍ितत्‍व का मालिक है रिचर्ड ब्रानसन। डिसलेक्‍िसया की बीमारी से ग्रस्‍त व पढ़ाई में बिल्‍कुल निकम्‍मा, लेकिन असल जिन्‍दगी में दुनिया के नम्‍बर वन बिजनसमैनों की श्रेणी में शुमार है, रिचर्ड ब्रॉनसन।

रिचर्ड ब्रानसन कहते हैं कि अख़बार वाले उससे और उसके वर्जिन कंपनी के साथियों को ''स्‍वर्ग में रहने वाले विद्रोही'' कहते हैं। जब रिचर्ड ब्रानसन खुद को विद्रोही कहता है तो उसको सुनने की रुचि और तीव्रता से बढ़ जाती है, क्‍योंकि विद्रोही सुनते ही एप्‍पल फेम स्‍टीव जॉब्‍स के शब्‍द दिमाग में दौड़ने लगते हैं, विद्रोहियों की सुनो, पागलों की सुनो, संकट पैदा करने वालों की सुनो।

स्‍टीव जॉब्‍स के शब्‍दों ने मुझे रिचर्ड ब्रानसन के और करीब कर दिया। अब मुझे उनकी बातों में और दिलचस्‍पी पैदा होने लगी। रिचर्ड ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, मीडिया वाले झूठ नहीं कहते हमारे बारे में क्‍यूंकि हम लोग डटकर मेहनत और अपने बीचों पर जमकर मौज मस्‍ती करते हैं। मैंने जिन्‍दगी में हर कदम नियमों का पालन नहीं किया, लेकिन जीवन की इस राह पर चलते चलते मैंने कई सबक सीखे हैं।

कुछ पल ठहरते हुए रिचर्ड कहता है, मेरी सफलता का राज एक ही है, बस कर डालें! मेरे इस राज के कारण वर्जिन का पूरा स्‍टाफ मुझे डॉ. यस के नाम से पुकारता है। ऐसा नहीं कि पूरे परिवार में केवल मैं ही ऐसा था जो बस कर डालें! के नियम का अनुसरण करता था। मेरे परिवार में मेरी मां और मेरे दादा के चचेरे भाई भी ऐसे ही थे। मेरी मां ईव, जो युद्ध के दौरान पायलट बनना चाहती थी, और उन्‍होंने हेस्‍टन एयरफील्‍ड जाकर पायलट बनने का प्रस्‍ताव रखा। आगे से दो टूक जवाब मिला, महिलाओं को पायलट बनने की आज्ञा नहीं। उसने चमड़े का फ्लाइंग जैकेट पहना और अपने सुनहरे बालों को चमड़े के हेलमेट में छुपा लिया। कुछ दिनों तक गहरी आवाज में बोलने का अभ्‍यास किया। अंत उनको पयालट की जॉब मिल गई। इतना ही नहीं, उनके सिखाए हुए पायलटों ने ही बैटल ऑफ ब्रिटेन में लड़ाकू विमान उड़ाए। फिर उन्‍होंने एयर होस्‍टेस बनने का मन बनाया, लेकिन उसके लिए नर्स प्रशिक्षण व स्‍पेनिश भाषा पर प्रभुत्‍व होना जरूरी था, जो दोनों उनके पास नहीं थे। फिर भी उन्‍होंने एयरलाइन के नाइट पोर्टर से बात करके अपने इस लक्ष्‍य को पाया। और कहती थी बस कर डालें!

दादा के चचेरे भाई महशूर खोजी कैप्‍टेन रॉबर्ट स्‍कॉट, जो दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले दूसरे व्‍यक्‍ित थे, जिनको दुनिया ने बुला दिया, क्‍योंकि श्रेय हमेशा पहले को मिलता है। हालांकि अंटार्कटिका के ऊपर गुब्‍बारे में पहली उड़ान भरने की उपलब्‍िध भी उनके नाम है, मगर लोगों ने इसको भी याद नहीं रखा। उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई, उनको अफसोस था कि उनसे पहले ही कोई दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गया। मुझे कभी किसी बात का अफसोस नहीं हुआ, क्‍यूंकि मेरा एक नियम है ''मजे करें, जमकर मेहनत करें, पैसा अपने आप आएगा''।

पैसा कमाने का मेरे पास कोई मंत्र नहीं, मैं तो बस मेहनत करता हूं जमकर। बीमारी के कारण स्‍कूली गणित तो समझ नहीं आता था, मगर नौ साल की आयु से ही पैसे का गणित समझ में आने लगा। मैंने एक मित्र को लेकर नौ वर्ष की
आयु में ही अपने खेत के अंदर क्रिसमिस ट्री लगाने की योजना बनाई। उस समय बीजों का थैला 5 पौंड मिल रहा था। मैंने सोचा, मैं क्रिसमिस ट्री को दो पौंड के हिसाब से बेचूंगा, हमने ट्री के करीबन चार सौ बीज लगाए। डेढ़ साल के अंदर हम इनको बेचकर करीबन 795 पौंड कमा सकते थे, जो बहुत बड़ा लाभ था। मगर खरगोशों ने मेरे प्‍लान को ध्‍वस्‍त कर दिया। फिर क्‍या था, हमने अपना इनवेस्‍टमेंट निकालने के लिए खरगोशों की बलि चढ़ा डाली। हमने उनका शिकार कर उनको बेच डाला, जिससे पैसे वापिस निकाले।

मैंने हर मामले में रिस्‍क लिए हैं, चाहे वो कोई टापू खरीदने का मामला हो, चाहे सोलह साल की उम्र में स्‍टूडेंट नामक पत्रिका निकालने का, चाहे जमैका जाने के बाद मुफ्त में आइलेंड घूमने का, चाहे एक जहाज किराए पर लेने का। जब मैं जमैका गया, तो देखा वहां बेहतरीन म्‍यूजिक बज रहा था, जो मुझे अच्‍छा लगा, मैंने तुरंत उस बैंड को साइन करने का सोचा, जो मेरे पास नगदी थी, वो मैंने इस  बैंड को साइन करने में लूटा दी। अब मेरे पास कुछ नहीं था। अब मुझे छुट्टियों का आनंद भी लेना था। तो मेरे दिमाग में टापू खरीदने का विचार आया। मैंने तुरंत, एक एजेंट को फोन लगाया और कहा कि मुझे कुछ टापू खरीदने हैं। तब मैंने अपना परिचय एक म्‍यूजिक कंपनी के मालिक का दिया, जो मैं वास्‍तव में था।

उसने मुझे कई टापू अपने जहाज पर बिना किसी खर्च पानी के घूमाए, मैंने इस बेहद आनंद लिया। मैंने सारे टापू रिजेक्‍ट कर दिए। टापूओं की सैर करते हुए इन्‍हें खरीदने का विचार पक्‍का हो गया। मगर पैसे नहीं थे, ऐसे में मैंने एजेंट से पूछा कि कोई और भी टापू है, जो तुमने मुझे न दिखाया हो। उसने कहा, बिल्‍कुल। वो मुझे वहां ले गया। वो बेहद प्‍यारा था, मगर मेरे पास पैसे नहीं थे, और टापू पर पीने का साफ पानी नहीं था। उसने तीस लाख पौंड मांगे, मैंने केवल दो लाख पौंड देने का प्रस्‍ताव रखा, डील कहां जमने वाली थी। हम वापिस आ गए। पैसे थे नहीं, आगे की पूरी यात्रा करनी थी। ऐसे में मैंने जहाज को किराये पर लिया, जिसका किराया करीबन 2000 पौंड था। मैंने उसको पर यात्री पर बांट दिया और एक काले ब्‍लैक बोर्ड पर निर्धारित कीमत लिख दी, जो पूर्ण रूप में सफल रही। यह जोखिम था, बहुत बड़ा, मगर इस जोखिम की बजाय से हम वार्जिन एयरलाइन खड़ी कर पाए, जिसको रोकने के लिए ब्रिटिश एयरलाइन ने बहुत जोर लगाया था। मगर मैंने भी न हारने की कसम खा रखी थी, ऐसे मैंने अपने दोस्‍त निक से वार्जिन म्‍यूजिक कंपनी के शेयर खरीदे। आज हमारे पास वो टापू भी हैं, जिन्‍हें हम खरीदना चाहते थे। वो सौदे उतनी ही राशि में तय हुए, जितनी मैंने प्रस्‍ताव में रखी थी। खरगोश जब मेरे क्रिसमिस ट्री खा गए थे, तो मुझे समझ में आया कि पैसे पेड़ों पर नहीं उगते, इस लिए कहता हूं, बहुत सारे काम हैं, जो आप अपने घर से शुरू कर सकते हैं, और आप सफल हो सकते हैं। बस कर डाले! शुरूआत एक कदम से होती है, फिर यात्रा कितनी ही लम्‍बी क्‍यूं न हो। ऐसे कितने ही लोग हैं, जो अपनी जॉब से संतुष्‍ट नहीं, लेकिन फिर भी चिपके हुए हैं। अगर आप साहस नहीं कर सकते तो शिकायत भी मत करें। बस जॉब है, उस में मजा करें। फिर मिलेंगे, हैप्‍पी, बातें बहुत सारी हैं, लेकिन तुम्‍हारी बस आ गई, और आधी रात हो चली है। मेरे किताब बंद करते ही मेरे मन में अपनी अमिट छाप छोड़ते हुए रिचर्ड ब्रानसन गायब हो गए।

यह बातचीत पुस्‍तक ''जीवन के सबक''screw it just do it आधारित है, इस किताब के द्वारा उक्‍त सब बातें रिचर्ड ब्रॉनसन ने मुझे बताई। अगर आप भी रिचर्ड ब्रानसन को पूरी तरह से जानना चाहते हैं तो उक्‍त पुस्‍तक जरूर खरीदें, क्‍योंकि एक लेखक ने कहा है कि जब आप किसी की किताब पढ़ रहे होते हैं तो आप उससे बात कर रहे होते हैं।

टिप्पणियाँ

  1. Maja aa gaya yaar kulwante.. Aapakee post padhate-padhate chai bhee thandi ho gayee pata hee na chala. Bahut achchhee lagi. Tum ek achchhe kitab ke khoji bhee ho. (Main tumhari is qualiyt ko kabhee vyakt nahee kar paya tha) Uska end bahut achchha laga.. pathak sochata hee rahata hai ki aap koi interview or program dekh rahe hoge jismen richard aaye honge. vishalm@webdunia.net, Vishal Mishra... this comment Send to me by mail.

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