अपराधग्रस्‍त जीवन या सम्‍मानजनक जीवन


जिन्‍दगी में ज्‍यादा लोग अपराधबोध के कारण आगे नहीं बढ़ पाते, जाने आने में उनसे कोई गलती हो जाती है, और ताउम्र उसका पल्‍लू न छोड़ते हुए खुद को कोसते रहते हैं, जो उनके अतीत को ही नहीं वर्तमान व भविष्‍य को भी बिगाड़कर रख देता है, क्‍योंकि जो वर्तमान है, वह अगले पल में अतीत में विलीन हो जाएगा, और भविष्‍य जो एक पल आगे था, वह वर्तमान में विलीन हो जाएगा। जिन्‍दगी को खूबसूरत बनाने के लिए चाणक्‍य कहते हैं, 'तुमसे कोई गलत कार्य हो गया, उसकी चिंता छोड़ो, सीख लेकर वर्तमान को सही तरीके से जिओ, और भविष्‍य संवारो।'

ऐसा करने से केवल वर्तमान ही नहीं, आपका भविष्‍य और अतीत दोनों संवरते चले जाएंगे। किसी ने कहा है कि गलतियों के बारे में सोच सोचकर खुद को खत्‍म कर लेना बहुत बड़ी भूल है, और गलतियों से सीखकर भविष्‍य को संवार लेना, बहुत बड़ी समझदारी। मगर हम जिस समाज में पले बढ़े हैं, वहां पर किताबी पढ़ाई हम को जीवन जीने के तरीके सिखाने में बेहद निकम्‍मी पड़ जाती है, हम किताबें सिर्फ इसलिए पढ़ते हैं, ताकि अच्‍छे अंकों से पास हो जाएं एवं एक अच्‍छी नौकरी कर सकें। मैं पूछता हूं क्‍या मानव जीवन केवल आपको नौकरी कर पैसे कमाने के लिए मिला है, नहीं बिल्‍कुल नहीं, जीवन आपको जीने के लिए मिला है, और सबसे अच्‍छा जीवन वह है जो किसी की सेवा में लग जाए। आप नौकरी करते हैं, बहुत जल्‍द उब जाते हैं, फिर कुछ नया करने की ओर दौड़ते हैं, कभी सोच क्‍यूं, क्‍यूंकि आपके पास नौकरी करने के पीछे कोई मकसद नहीं, पैसा आदमी तब तक कमाता है, जब तक उसको यह आभास नहीं हो जाता कि पैसे से भी ज्‍यादा कुछ और जरूरी है, पर वह इस बात को समझ नहीं पाता।

अगर आप डॉक्‍टर हैं, अगर आप इंजीनियर हैं, तो आपको एक मकसद ढूंढना होगा कि इस पेशे से हम समाज को क्‍या दे सकते हैं, हो सकता है कि आप ने कभी पैसा कमाने के चक्‍कर में कुछ गलत कर दिया हो, मगर जीवन लम्‍बा है, इसलिए उस अपराधबोध को भूलकर आज से एक नई शुरूआत करें, यकीन करें, जिन्‍दगी आज से ही खूबसूरत हो जाएगी। मैं कुछ ऐसे लोगों को भी जानता हूं, जो प्‍यार में चोट खाने के बाद खुद को कोसते हुए जिन्‍दगी से मूंह मोड़ लेते हैं, क्‍यूंकि उनको आभास होने लगता है कि उन्‍होंने जिन्‍दगी में बहुत बड़ा अपराध कर दिया, जबकि यह सिर्फ एक मानसिक स्‍थिति है, जिसको बदलने से जीवन बदल सकता है।

आप अपराधबोध के साथ मरना पसंद करेंगे या उस भूल को भूलकर एक मकसदपूर्ण जीवन जीते जीते अंतिम सांस छोड़ना पसंद करेंगे, फैसला आपके हाथ में है।

टिप्पणियाँ

  1. laajawab baat hai aapki .

    बोल्डनेस छोड़िए हो जाइए कूल...खुशदीप​ के सन्दर्भ में

    दुनिया की तीन बड़ी क़ौमें यहूदी, ईसाई और मुसलमान आदम और हव्वा को मानव जाति का आदि पिता और आदि माता मानते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं। ये तीनों मिलकर आधी दुनिया की आबादी के बराबर हैं। अरबों लोग जिनका सम्मान करते हैं, उनके नंगे फ़ोटो लगाकर ब्लॉग पर हा हा ही ही की जा रही है।

    यह कैसी बेहिसी है भाई साहब ?

    आदम हव्वा का फ़ोटो इसलिए लगा दिया कि ये हमारे कुछ थोड़े ही लगते हैं, ये अब्राहमिक रिलीजन वालों के मां बाप लगते हैं।


    अरे भाई ! आप किस की संतान हो ?

    कहेंगे कि हम तो मनु की संतान हैं।

    और पूछा जाए कि मनु कौन हैं, तो ...?

    कुछ पता नहीं है कि मनु कौन हैं !


    अथर्ववेद 11,8 बताता है कि मनु कौन हैं ?

    इस सूक्त के रचनाकार ऋषि कोरूपथिः हैं -

    यन्मन्युर्जायामावहत संकल्पस्य गृहादधिन।

    क आसं जन्याः क वराः क उ ज्येष्ठवरोऽभवत्। 1 ।

    तप चैवास्तां कर्भ चतर्महत्यर्णवे।

    त आसं जन्यास्ते वरा ब्रह्म ज्येष्ठवरोऽभवत् । 2 ।


    अर्थात मन्यु ने जाया को संकल्प के घर से विवाहा। उससे पहले सृष्टि न होने से वर पक्ष कौन हुआ और कन्या पक्ष कौन हुआ ? कन्या के चरण कराने वाले बराती कौन थे और उद्वाहक कौन था ? ।1। तप और कर्म ही वर पक्ष और कन्या पक्ष वाले थे, यही बराती थे और उद्वाहक स्वयं ब्रह्म था।2।

    यहां स्वयंभू मनु के विवाह को सृष्टि का सबसे पहला विवाह बताया गया है और उनकी पत्नी को जाया और आद्या कहा गया है। ‘आद्या‘ का अर्थ ही पहली होता है और ‘आद्य‘ का अर्थ होता है पहला। ‘आद्य‘ धातु से ही ‘आदिम्‘ शब्द बना जो कि अरबी और हिब्रू भाषा में जाकर ‘आदम‘ हो गया।

    स्वयंभू मनु का ही एक नाम आदम है। अब यह बिल्कुल स्पष्ट है। अब इसमें किसी को कोई शक न होना चाहिए कि मनु और जाया को ही आदम और हव्वा कहा जाता है और सारी मानव जाति के माता पिता यही हैं।

    ख़ुशदीप सहगल के माता पिता भी यही हैं।

    अपने मां बाप के नंगे फ़ोटो ब्लॉग पर लगाकर सहगल साहब ख़ुश हो रहे हैं कि देखो मैंने कितनी अच्छी पोस्ट लिखी है।

    अपनी मां की नंगी फ़ोटो लगा नहीं सकते और जो उनकी मां की भी मां है और सबकी मां है उसका नंगा फ़ोटो लगाकर बैठ गए हैं और किसी ने उन्हें टोका तक नहीं ?

    ये है हिंदी ब्लॉग जगत !

    कहते हैं कि हम पढ़े लिखे और सभ्य हैं।

    हम इंसान के जज़्बात को आदर देते हैं।

    अपने मां बाप आदम और हव्वा अलैहिस्सलाम पर मनघड़न्त चुटकुले बनाना और उनका काल्पनिक व नंगा फ़ोटो लगाना क्या उन सबकी इंसानियत पर ही सवालिया निशान नहीं लगा रहा है जो कि यह सब देख रहे हैं और फिर भी मुस्कुरा रहे हैं ?

    रात हमने पोस्ट पब्लिश करने के साथ ही उनकी पोस्ट पर टिप्पणी भी की और इस पोस्ट की सूचना देने के लिए अपना लिंक भी छोड़ा लेकिन उन्होंने गलती को मिटने के बजाय हमारी टिप्पणी ही मिटा डाली.

    उनकी गलती दिलबाग जी ने भी दोहरा डाली. उनकी पोस्ट से फोटो लेकर उन्होंने भी चर्चा मंच की पोस्ट (चर्चा - 840 ) में लगा दिया है.

    एक टिप्पणी हमने चर्चा मंच की पोस्ट पर भी कर दी है.

    यह मुद्दा तो सबके माता पिता की इज्ज़त से जुडा है. सभी को इसपर अपना ऐतराज़ दर्ज कराना चाहिए.
    http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/04/manu-means-adam.html

    जवाब देंहटाएं

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