तेरे इंतजार में

नागदा के रेलवे स्टेशन का  एक दृश्य /फोटो: कुलवंत हैप्पी
आँखें बूढ़ी हो गई, तेरे इंतजार में
और पैर भी जवाब दे चुके हैं
फिर भी दौड़ पड़ती हूँ
डाकिए की आवाज सुनकर
शायद कोई चिट्ठी हो मेरे नाम की
जिसे लिखा तुमने हो
हर दफा निराश होकर लौटती हूँ
दरवाजे से
रेल गाड़ी की कूक सुनते
दौड़ पड़ती हूँ रेलवे स्टेशन की ओर
शायद अतिथि बनकर तुम पधारो,
और मैं तेरा स्वागत करूँ
तुम उजड़ी का भाग सँवारो
वहाँ भी मिलती है तन्हाई
बस स्टेंड पर तो हर रोज
आती हैं बसें ही बसें
पर वो बस नहीं आती
जिस पर से तुम उतरो
सुना है मैंने
एअरपोर्ट पर उतरते हैं हररोज कई हवाई जहाज
पर तुम्हारा जहाज उड़ता क्यों नहीं उतरने के लिए
वक्त की कैंची को, क्यों मैं ही मिली हूँ कुतरने के लिए

तुम्हें याद है
जवानी की शिख़र दोहपर थी
हाथों पर मंहेदी का रंग
और बाँहों में लाल चूड़ा था
कुछ महीने ही हुए थे
दुल्हन बने
तेरे घर का श्रृंगार बने
जब तुम, कागजों के ढेर
जुटाने निकल गए थे
दूर सफर पर
तब से अब तक इंतजार ही किया है
और करती रहूँगी, अंतिम साँस तक
बच्चू दे पापा,
तेरी लाजो...
आभार
कुलवंत हैप्पी

टिप्पणियाँ

  1. एक औरत के दर्द को खूब लिखा शब्दों में। देश में बहुत सी महिलाएं ऐसी होंगी.. सच में।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी4/01/2010 11:57 pm

    बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  3. पहली बार आया हूँ, तुम्हें पढ़कर अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  4. मुकुल भाई4/02/2010 12:17 am

    पिक्चर और शब्दावली दोनों ही खूब हैं कुलवंत जी\


    गांधीनगर..सेक्टर 18

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत उम्दा भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!

    जवाब देंहटाएं
  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  7. संजय भास्कर जी, सच कहूँ मुझे कविता, गीत लिखने की बिल्कुल समझ नहीं, बस जो मन में आए उतरा देता हूँ।

    आपके प्यार के लिए सदैव शुक्रगुजार हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन

    http://kavyawani.blogspot.com/

    shekhar kumawat

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन

    http://kavyawani.blogspot.com/

    shekhar kumawat

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया प्रस्तुति .....

    जवाब देंहटाएं

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