लफ्जों की धूल-3
(1)
दिमाग बनिया, बाजार ढूँढता है
दिल आशिक, प्यार ढूँढता है
हैप्पी का पागलपन देखें
वो बंदों में परवरदिगार ढूँढता है
(2)
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ,
कहकर बताया तो क्या बताया,
तू तू मैं मैं चलती रही,
खुद को गंवाया तो क्या गंवाया
टूटते ही कहा बेवफा
ऐसा इश्क कमाया तो क्या कमाया
(3)
जब आया था,
मैं रोया, जमाना मुस्कराया था
जब जाऊंगा, हँसता हुआ जाऊंगा
जाता हुआ खुशी के आँसू रुलाऊंगा
दिमाग बनिया, बाजार ढूँढता है
दिल आशिक, प्यार ढूँढता है
हैप्पी का पागलपन देखें
वो बंदों में परवरदिगार ढूँढता है
(2)
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ,
कहकर बताया तो क्या बताया,
तू तू मैं मैं चलती रही,
खुद को गंवाया तो क्या गंवाया
टूटते ही कहा बेवफा
ऐसा इश्क कमाया तो क्या कमाया
(3)
जब आया था,
मैं रोया, जमाना मुस्कराया था
जब जाऊंगा, हँसता हुआ जाऊंगा
जाता हुआ खुशी के आँसू रुलाऊंगा
आभार
जब आया था,
जवाब देंहटाएंमैं रोया, जमाना मुस्कराया था
जब जाऊंगा, हँसता हुआ जाऊंगा
जाता हुआ खुशी के आँसू रुलाऊंगा
बहुत बढिया .. प्रकृति के नियम भी अजीब हैं !!
बेहतरीन!! वाह!
जवाब देंहटाएंसुंदर ओर गहरे भाव लिये,
जवाब देंहटाएंare vaah bhaayi....kyaa baat...kyaa baat...kyaa baat....!!
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