हैप्पी अभिनंदन में महफूज अली

हैप्पी अभिनंदन में आज आप जिस ब्लॉगर हस्ती से मिलने जा रहे हैं, उनकी सोच युवा है, लेकिन दिल में आज भी कोई बच्चा बसता है। उनका मिलनसार स्वाभाव, सफलता की शिखर को छूने के बाद भी जमीं से लगाव उनकी शख्सियत को चार चाँद लगाता है। नवाबों की नगरी लखनऊ के पॉश इलाके में जन्में, एक हाई स्टैंडर्ड स्कूल में पढ़े और एक बिजनसमैन के साथ साथ एक शानदार कवि के रूप में अपनी पहचान बनाई, हाँ सही पहचाना वो हैं अपने महफूज अली भाई। अपने बारे में वो और क्या क्या कहते हैं, उनकी कहानी उनकी जुबानी सुनते हैं।

कुलवंत हैप्पी : अभिनेता सलमान खान से सब पूछते हैं, लेकिन महफूज अली से हम पूछना चाहेंगे शादी कब करोगे?
महफूज अली :
शादी इस साल हो जाने की उम्मीद है। भाई

कुलवंत हैप्पी : आपकी नजर में भगवान की क्या परिभाषा है?
महफूज अली :
भगवान वो ताकत है जो सर्वशक्तिमान है....हर जगह है.... और भगवान ही इस दुनिया को चला रहे हैं... इस सम्पूर्ण ब्रम्हांड पर उन्हीं का शासन है...हर क्रिया -प्रक्रिया बिना भगवान् इजाज़त के नहीं होती।

कुलवंत हैप्पी : आप इंग्लिश में भी कविताएं लिखते हैं और हिन्दी में भी, लेकिन असली मजा किसी भाषा में आता है?
महफूज अली :
अब सही कहूँ तो कॉन्वेंट बैकग्राउंड होने की वजह से इंग्लिश में आसानी रहती है। मैं बचपन से इंग्लिश में ही लिखता रहा और इंग्लिश में मेरी वार्ड पॉवर भी स्ट्रोंग है। मुझे चार-चार डिक्शनरी याद हैं, और Wren & Martin की इंग्लिश ग्रामर पूरी याद है। हिंदी में लिखना 1995 में शुरू किया था, और मेरी हिंदी अंग्रेजी मिश्रित होती थी। आज भी है... हिंदी में जबसे लिखना शुरू किया, और जो सफलता मिली फिर पीछे मुड़के नहीं देखा। मैं अब हिंदी और इंग्लिश में सामान रूप से लिखता हूँ, पर यह है कि हिंदी में शब्दों को लेकर अटक जाता हूँ। और जब भी अटकता हूँ,तो शरद कोकास भैया या फिर अजित वडनेरकर भैया को फोन लगाकर पूछ लेता हूँ....आप दोनों से मुझे बहुत मदद मिलती है और आप दोनों को पढ़कर ही मेरी हिंदी और अच्छी हुई है। गिरिजेश राव जी भी बहुत मदद करते हैं, पर अब हिंदी में लिखना ज्यादा अच्छा लगता है और मैं हिंदी में ही अब लिखना चाहता हूँ, इंग्लिश और हिंदी साहित्य में तकरीबन सब कुछ पढ़ा है।

कुलवंत हैप्पी : आप सफल कवि होने के साथ साथ बिजनसमैन भी हैं, आपकी सफलता का राज या गुरूमंत्र?
महफूज अली :
कवि तो मैं बचपन से ही हूँ। मैं चार साल की उम्र से कविता लिख रहा हूँ। फिर कवि से लेखक हुआ, बेसिकली तो मैं academician हूँ। मैं सीनियर प्रवक्ता हूँ, विश्विद्यालय में.... और IIT कानपुर के डिपार्टमेंट ऑफ़ सोशल साइंसेस व IIM लखनऊ में visiting faculty । बिजनेसमैन तो मैं ऐसे हुआ कि मेरा एक सपना था कि मेरा एक बिज़नस भी हो...जिससे कि मैं हमेशा secured रहूँ और कई लोगों को रोज़गार भी प्रदान करूँ....... तो अपनी Phd... के दौरान मैंने एक Pharmaceutical company की स्थापना की... मेरी कम्पनी का नाम Medica Herbal and Research Laboratory है... कृपया वेबसाईट देखें www.medicaherbals.com मेरी सफलता का राज़ Time management (समय प्रबंधन) है... मेरा यह मानना है की इस दुनिया में सबके पास चौबीस घंटे हैं....हर महान काम चौबीस घंटे में ही हुए हैं..मैंने समय को बाँट कर रखा हुआ है .... १० घंटे काम करता हूँ... ६ घंटे सोता हूँ.... १ घंटा एक्सरसाइज़ करता हूँ... ४ घंटे रोज़ पढता हूँ....आधा घंटा सुबह टिप्पणी करता हूँ..आधे से एक घंटा रात को टिप्पणी करता हूँ... बाकी का समय यहाँ वहां के नित्य कामों में ...बस इसी तरह समय को बाँट कर काम करता हूँ... और यही सफलता का राज़ है।

कुलवंत हैप्पी : ब्लॉगिंग की दुनिया में किस तरह आए और कैसा लगा ब्लॉगवुड?
महफूज अली :
ब्लॉग्गिंग में मैं सन २००२ में आया.... मैं पहले इंग्लिश ब्लॉगिंग किया करता था... हिंदी ब्लॉगिंग में मैं २००८ में आया...और सक्रिय रूप से सन २००९ से हिंदी ब्लॉगिंग में हूँ...ब्लॉगवुड में आकर तो बहुत अच्छा लगा... यहाँ मुझे इतने रिश्ते और अपने लोग मिले हैं.... अब तो यह ब्लॉगवुड ही मेरा परिवार है।

कुलवंत हैप्पी :  बिजनसमैन, कवि और ब्लॉगर होने के अलावा आप अतिथि लेक्चरार भी हैं, फिर इन सबको मैनेज कैसे करते हैं?
महफूज अली :
इसका जवाब ऊपर ही है.... मैनेज कर लेना भाई।

कुलवंत हैप्पी :  एक बिजनसमैन को साहित्य की तरफ कौन सी वजह खींच लाई और कौन सा कवि या लेखक आपका प्रणेता है?
महफूज अली :
बिज़नेसमैन तो मैं बहुत बाद में बना हूँ...लिखने-पढने का शौक मुझे मेरी माँ ने डलवाया....हमारे घर में हिंदुस्तान की हर पत्रिका का सब्सक्रिप्शन है और था भी। साहित्य की ओर मैं बचपन से ही आकर्षित था...मैं आज भी कॉमिक्स पढता हूँ। मेरे पसंदीदा कवि Percy Byshe Shelly हैं, इनको को ही पढ़कर मुझे लिखने का शौक हुआ और पसंदीदा लेखक E. R. Braithwaite हैं। Brooker T. Washington की लिखी कहानी My Struggle for an Education आज भी मेरे दिमाग पर पूरी तरह छाई हुई है।

कुलवंत हैप्पी : नवाबों के शहर लखनऊ में सबसे बढ़िया जगह कौन सी लगती है?
महफूज अली :
पुराने लखनऊ में बड़ा इमामबाड़ा, लक्ष्मण झूला मैदान और नए लखनऊ में, जहाँ मैं रहता हूँ गोमती नगर में। मुझे बहुत अच्छी लगता है गोमतीनगर, लखनऊ का क्या पूरे उत्तर प्रदेश की सबसे पोश इलाका है और हर सुविधा सिर्फ यहीं हैं। VIP area होने की वजह से गोमतीनगर बहुत अच्छा लगता है।

कुलवंत हैप्पी : कोई प्यारा पल, जो हम से बाँटना चाहते हों?
महफूज अली :
मैं शिमला डगशाई में बोर्डिंग में पढता था। तब फर्स्ट क्लास में था। मम्मी की बहुत याद आ रही थी, मैं रोते रोते सो गया था, पर जब आँख खुली तो सामने मम्मी थीं। जबकि मम्मी को अगले महीने आना था, अब जब रोता हूँ और यही ख्याल आता है कि काश! मम्मी आ जाएँ.... खुदा मेरी मम्मी को जन्नत बख्शें....मम्मी.... मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।

कुलवंत हैप्पी : जाते जाते कोई ऐसा संदेश जो पूरे ब्लॉग जगत और युवा सोच युवा खयालात के पाठकों को देना चाहते हों?
महफूज अली :
प्यार दो, प्यार पाओगे।

चक्क दे फट्टे : टीचर ने कहा, चलो जुर्माना मुआफी का निवेदन पत्र लिखो। भूरे मिस्त्री ने तुरंत पूछा, मैडम जी जुर्माना कितने रुपए है। मैडम ने कहा, 'पाँच रुपए'। भ्रूरा मिस्त्री अपने कपड़ों से मिट्टी झाड़ते हुए उठा और मैडम के पास आकर बोला "लो पकड़ो, पाँच रुपए, मेरे पिता कहते हैं कि पाँच दस रुपयों के लिए बेइज्जती करवाना अच्छी बात नहीं होती"

भार
कुलवंत हैप्पी

टिप्पणियाँ

  1. अच्छा तो बर्खुरदार यहां छिपे बैठे हैं, वहा तो स्वयंवर रचवा लिया, लोग इंतजार कर रहे हैं,
    दो लोगों मे युद्ध हो गया कि मछली की आंख मे तीर कौन मारेगा? अब तीरंदाज ही लापता हैं।
    होली की शुभकामनाएं।

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  2. वाह भई वाह हमें भी बहुत चीजें सीखने को मिली..

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  3. तो माजरा यह है. चलो देर आयद दुरस्त आयद

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  4. बात चीत के अंत में भावुक कर दिया.


    बहुत अच्छा लगा महफूज को थोडा और जानना...सर्दियों में शादी करें तो शायद हम भी बारात में ठुमके लगायें. :)


    आभार आपका.

    जवाब देंहटाएं
  5. महफूज़ अली3/02/2010 7:54 am

    क्षमा कीजियेगा.. जल्दबाजी में मैं एक भूल कर गया.. इसको सुधारते हुए E. R. Braithwaite को मेरे पसंदीदा लेखक और My Struggle for an Education जो कि Brooker T. Washington ने लिखी है को मेरी पसंदीदा कहानी पढ़ा जाये.. एक बार फिर माफ़ी चाहता हूँ..
    आपका- महफूज़ अली..

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  6. क्षमा कीजियेगा.. जल्दबाजी में मैं एक भूल कर गया.. इसको सुधारते हुए E. R. Braithwaite को मेरे पसंदीदा लेखक और My Struggle for an Education जो कि Brooker T. Washington ने लिखी है को मेरी पसंदीदा कहानी पढ़ा जाये.. एक बार फिर माफ़ी चाहता हूँ..
    आपका- महफूज़ अली..

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  7. महफूज़ जी के बारे में और अधिक जाँ कर अच्छा लगा

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  8. बहुत ही अच्‍छा साक्षात्कार


    महफ़ूज जी को और अच्‍छी तरीके से जानने को मिला।

    होली की बहुत बहुत बधाई।

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  9. Bat chit bahut acchi rahi ...bahut acchi aachi baate jaananae ko mili....Dhanywaad!

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  10. वाह बहुत खूब आज से मै भी टाईम मैनेगमेन्ट के लिये महफूज़ की क्लास जवाइन कर रही हूँ। उसेक शादी के लिये अग्रिम बधाई और आशीर्वाद। बहुत अच्छा लगा महफूज़ के बारे मे सब कुछ जान कर। बहुत अच्छा प्रयास है जिस से बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलता है। धन्यवाद और आशीर्वाद ।

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  11. acha laga महफूज़ bahi se milkar ......dhanywaad

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  12. भाई मुझे तो बिल्कुल भी मजा नहीं आया इनसे मिलकर, कौन है भईया ये कोई बतायेगा मुझे ।

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  13. कुलवंत भाई मैं चाहुंगा कि आप हैप्पी अभिनंदन में नये ब्लोगरो से सबको रुबरु करवाईये ताकि उनका उत्साह वर्धन हो सके और वे हिन्दी की सेवा और मन से कर पायें , आप अपना लक्ष्य निर्धारित करें कि आप ये अभिनंदन क्यो कर रहे हैं, शायद जवाब आपको खूद से मिल जायेगा, और टिप्पणी कांरो से भी विनम्र निवेदन है कि आप जब भी नये ब्लोगर को पायें अभिनंदन में उनका हौसला अफजाई अवश्य ही करें ।

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  14. बहुत ही उम्दा जानकारियाँ। इन्हें लगातार छापते रहिएगा। एक न एक दिन चक्क दे फट्टे हो ही जाएगी।

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  15. वाह भई वाह हमें भी बहुत चीजें सीखने को मिली.

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  16. महफ़ूज जी को और अच्‍छी तरीके से जानने को मिला।

    होली की बहुत बहुत बधाई।

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  17. mehfooz ji ki kalam se hamesha se ru-b-ru hote aaye hain,aaj khud unse huye hain to jankar aur bhi accha laga hai :)

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  18. महफूज भाई की बातें ही निराली होती हैं .. आपका आभार !!

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  19. महफूज़ भाई से आज यह मुलाक़ात बहुत...
    बहुत अच्छा लगा.
    ऐसा दर्शन युवाओं को प्रेरित करता है.

    आगामी वैवाहिक जीवन के लिए दुआ है.

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  20. कुलवंत जी, मिथिलेश की बात पर गौर फरमाएं.

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  21. स्‍वयंवधू का लाइव टेलीकास्‍ट

    इसी वर्ष होगा

    हम तो पलक पांवड़े

    बिछाए बैठे हैं

    कुछ अपनी ही धुन में ऐंठे हैं

    छिपे इंटरनेट में बैठे हैं

    इसीलिए महफूज हैं

    वरना तो सलमान खान भी शर्मिन्‍दा हो रहा होता

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  22. इनकी प्रेमिकाओं के बारे में नहीं पूछा चलो इनने बता ही दिया एक जगह '' प्यार दो, प्यार पाओगे।''
    अभी ये यही धंधा कर रहे हैं . कैटरीना टाइप की मिल गईं तो हजूर ब्लागिंग के लिए इत्ता वक्त निकाल पायेंगे मुझे नहीं लग रहा
    हा हा हा हेप्पी जी हैप्पी होली प्रिय मित्र महफूज़ को बुलाकर आनंदित कर दिया सबको

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  23. kuda ne unko achhchhi soorat aur seerat dono ata farmai hai

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  24. Mahfooz miyaan se fir se milna bahut accha laga happy ji...
    aapka bahut shukriya...

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  25. कुलवंत काके,
    अभी तो सारे महफूज़ के सिर पर सेहरा देखने के लिए पीछे पड़े हैं...

    लेकिन शादी वाले दिन ये गाना मत बजवा देना...

    तैनू घोड़ी किस चढ़ाया, ...दे...दे...

    वैसे बारात में प्रेतों के साथ भूतनियां भी काफ़ी शामिल होंगी...

    जय हिंद...

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  26. बेनामी3/02/2010 12:49 pm

    मैं तो बार-बार यह पेज ऊपर नीचे कर रहा!
    मेरी इत्ती बड़ी सी पुरानी टिप्पणी कहाँ गई!?

    सब महफ़ूज़ की बदमाशी लग रही!!!

    जवाब देंहटाएं
  27. महफूज़ का साक्षात्कार तो बहुत शानदार रहा....बहुत अच्छा लगा...उनके बारे में थोड़ा और जानकर..शुक्रिया..कुलदीप जी.

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  28. बहुत ही सार्थक संवाद!! बेशक अंत में गलद-श्रु भावुकता रही..

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  29. achchi varta...kab kar rahe hain mahfooz ji shadi? bhai bata dijiyega ticket book karane main thoda samay lagta hai .:)

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  30. bahut hi badhiya sakshatkar raha mahfooz ka..........ab to lagta hai mahfooz sabke time ikon ho jayenge .......kafi achchi baatein pata chali...........bas ab to marriage invitation ka intzaar hai.

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  31. महफूज भाई सजग-सक्रिय ब्लॉगर हैं, जिन्दादिली से जीने वाले इंसान !
    संस्मरणों की पोटली लेकर चलते हैं । यहाँ तो वह पोटली खुली ही नहीं !
    बहुआयामी प्रतिभा के क्रिएटिव इंसान हैं महफूज जी !
    साक्षात्कार बढ़िया लगा ! आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  32. अली की शराफत और आपकी वकालत से लग रहा है की अली साहब की बगल में कोई भी दुल्हनिया महफूज़ रहेगी|

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  33. बिजनेस के साथ विद्या दान और साहित्य साधना ...
    और इन सबके साथ बच्चों सी मासूमियत ...
    यही तो महफूज़ है .....!!

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  34. महफूज़ की विशेषता यह है कि उसके भीतर ज़रा भी अहंकार नहीं है और वह ज़िन्दगी का सही मतलब जानता है उसके शब्द कोष में "प्यार " से बड़ा कोई शब्द नहीं है और दूसरों की इज़्ज़त बचाने के लिये भी वह अपने "पाँच रुपये " खर्च कर सकता है ।

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