राजू बन गया 'दी एंग्री यंग मैन'
"शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन" हिन्दी फिल्म जगत के वो नाम बन गए, जो सदियों तक याद किए जाएंगे। आपसी कशमकश के लिए या फिर बेहतरीन अभिनय के लिए। दोनों में उम्र का बहुत फासला है, लेकिन किस्मत देखो कि चाहे वो रुपहला पर्दा हो या असल जिन्दगी का रंगमंच। दोनों की दिशाएं हमेशा ही अलग रही हैं, विज्ञापनों को छोड़कर। रुपहले पर्दे पर अमिताभ बच्चन के साथ जितनी बार शाहरुख खान ने काम किया, हर बार दोनों में ठनी है। चाहे गुरूकुल के भीतर एक प्रधानाचार्य एवं आजाद खयालात के शिक्षक के बीच युद्ध, चाहे फिर घर में बाप बेटे के बीच की कलह। अक्सर दोनों किरदारों में ठनी है। असल जिन्दगी में भी दोनों के बीच रिश्ते साधारण नहीं हैं, ये बात तो जगजाहिर है। रुपहले पर्दे पर तो शाहरुख खान का किरदार हमेशा ही अमिताभ के किरदार पर भारी पड़ता रहा है, लेकिन मराठी समाज को बहकाने वाले ठाकरे परिवार को करार जवाब देकर शाहरुख खान ने असल जिन्दगी में भी बाजी मार ली है।
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कहने को तो अमिताभ बच्चन के नाम के साथ "दी एंग्री यंग मैन" का टैग लगा हुआ है, लेकिन असल जिन्दगी में उन्होंने हमेशा न्यू टैग 'बिग बी' का इस्तेमाल किया और करते भी हैं। "बिग बी" का असली अर्थ "बिग बिजनसमैन" मैं उस दिन समझा था, जब श्रीमति बच्चन के बयान पर अमिताभ बच्चन ने दो हाथ जोड़कर एक गली के गुंडे से माफी माँग ली थी, वो भी सिर्फ इसलिए कि उनके बेटे की आने वाली फिल्म द्रोण को व्यापारिक हानि न सहन करनी पड़े। वैसे बिग बी का दूसरा अर्थ बिग बच्चन हो नहीं सकता, क्योंकि उनके पिता हिन्दी साहित्य की जान थे। उस वक्त अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग के जरिए विदेश से ही माफी माँग ली थी, जबकि पूरी घटना का अमिताभ बच्चन को पता भी न था। उस घटना को मीडिया वालों ने भी गलत ढंग से दिखाया था, जिसका एक नमूना यहाँ देख सकते हैं। मैंने घटना के वक्त न्यूज चैनलों पर आ रही करवेज को देखा था, जिसमें दिखाया गया था कि प्रियंका और अभिषेक बच्चन इंग्लिश में बोल रहे थे, जिसके कारण जय बच्चन ने लोगों की भावनाओं को भाँपते हुए हिन्दी में बोलने की जरूरत समझी। अगर वैसा न होता तो प्रियंका चोपड़ा भी जय बच्चन के पीछे पीछे दोहराती हुई नजर न आती।इन्हें भी पढ़ें : किसी से भी गिला नहीं
आज शाहरुख खान भी उस मोड़ पर खड़ा है, जहाँ पर अमिताभ बच्चन थे, उनकी भी फिल्म रिलीज होने वाली थी, और अब शाहरुख की फिल्म भी रिलीज होने वाली है। मगर शाहरुख ने बिग बी की तरह घुटने नहीं टेके, उसने साफ शब्दों में कह डाला कि मैं माफी नहीं माँगूगा। शाहरुख खान ने अपने बयान पर अटल रहने का जो फैसला लिया है, वो ठाकरे परिवार के लिए किसी तमाचे से कम नहीं। राजू, राहुल के किरदार रुपहले पर्दे पर निभाने वाले शाहरुख खान के भीतर दी एंग्री यंग मैन न जाने कहां से जाग आया, चलो कहीं से भी आया, लेकिन एक आवाज तो उठी, जो ठाकरे को मुंह तोड़ जवाब दे सके।इन्हें भी पढ़ें : जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
ठाकरे परिवार आजकल सबको नसीहत देने लगा हुआ है और मुम्बई को अपनी जंगीर बना लिया है। अभिवक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा जा रहा है, लेकिन मुंह तोड़ जवाब आज तक किसी ने नहीं दिया। जब मुकेश अम्बानी ने कहा कि मुंबई किसी एक की नहीं है बल्कि हर भारतीय की है, तो उसको नसीहत दे डाली कि तुम बिजनस पर ध्यान दो, राजनीति मत करो। इन्हें भी पढ़ें : संवेदना : हर दिन हजारों मौत मरता हूं
इतना ही नहीं, जब महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने कहा "मैं मराठी हूं, मुझे मराठी होने पर गर्व है लेकिन मुंबई पूरे भारत की है और मैं भारत के लिए खेलता हूं।" तो उसको नसीहत देने के लिए बाला साहिब ठाकरे ने सामना के दो पन्ने काले कर डाले, और कहा कि तुम खेल पर ध्यान दो। इन्हें भी पढ़ें : मिट्टी, पथरी, नीर और भगवान का सच (अविनाश वाचस्पति)
क्या देश को चलाने का ठेका ठाकरे परिवार ने ले रखा है? जो जवाब शाहरुख खान ने शिव सेना को दिया है,वो शिव सेना के लिए किसी तमाचे से कम नहीं, अगर अंत तक शाहरुख उस पर अटल रहे, तो अमिताभ का 'दी एंग्री यंग मैन' का फीता मैं शाहरुख खान के कंधे पर सजा दूँ, कोई और सजाए भले ही न सजाए।
सही किया शाहरुख ने. अब देखिये आगे क्या होता है.
जवाब देंहटाएंमैं आपके लेख से बिल्कुल सहमत हूँ। शिव सेना ने मुम्बई को अपने बाप की जंगीर समझ रखा है। ऐसे में कोई तो चाहिए था, जो उनको मुँह तोड़ जवाब दे सके, रण के पोस्टर की तरह अमिताभ तो हाथ जोड़ खड़े हो गए थे, लेकिन शाहरुख खान ने करार जवाब दिया है। आगे क्या होता देखते हैं।
जवाब देंहटाएंअतुल विजय कुमार, नासिक।
wah bhai.. mogambo khush hua... :)
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जवाब देंहटाएं....ये ठाकरे परिवार को बढावा हमारे ही देश की २ बड़ी राजनीति पार्टियों ने दिया महाराष्ट्र में वोट बैंक बढ़ने के लिए . .....लकिन ठाकरे परिवार अपने पतन की वो कदम बढ़ा दिया है ......जब तक लोग उतने जागरूक नहीं थे तब तक मराठी के नाम पे सब को उल्लू बनाया और महारष्ट्र पर राज भी किया ...........जिस तरह देश में साक्षरता बढ रही है और लोगो में जागरूकता आरही है .....ऐसे में इस तरह के विचारधारा वालों की सिर्फ पतन है .....शारुख ने जो किया वो काबिले तारीफ है .
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही किया शाहरुख ने जब तक अमिताभ बच्चन की तरह डर कर बैठे रहेंगे तब तक ये लोग गुन्डा गरदी करते रहेंगे। बाकी लिन्क बाद मे देखती हूँ आशीर्वाद्
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....
जवाब देंहटाएंनोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....
शाहरुख ने जिस तरह से ठाकरे के खिलाफ अपनी बगावत को जारी रखा है वह देख कर आश्चर्य भी हो रहा है और खुशी भी. आजतक कभी किसी फिल्म वाले को इस तरह से अपनी बात पर डिगे रहते हुए नहीं देखा था. शाहरुख से तो मुझे बिलकुल ऐसी उम्मीद नहीं थी मगर इस घटनाक्रम से मेरे मन में शाहरुख के लिए इज्जत जरूर बढ़ी है.
जवाब देंहटाएंउधर फोक्स इंटरटेंमेंट कम्पनी की ओर से खबर आ रही है की अपनी फिल्म My Name Is Khan को बचाने के लिए वो शाहरुख पर माफ़ी मांग लेने की दवाब दाल रहे हैं. अगर शाहरुख ऐसा करते हैं तो वो भी वही आकार खड़े हो जायेंगे जहा अमिताभ हैं.
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जवाब देंहटाएंशाहरूख ने सही किया है...जहाँ तक अभिताभ की बात है उन का व्यवाहर अपने फायदे के दायरे मे रहकर ही होता है..
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया फ़ैसला लिया है, आगे ये किधर मोड लेता है? यह देखने वाली बात है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
bhut achha baky tareef laik hai king khan
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंbahut accha hai koi to hai jo bola
जवाब देंहटाएंthakre parivaar..uff..bhgwaan bachaye aise budhijiviyon se...
जवाब देंहटाएंkanoon to jaise inki jaagir hai..
bematlab ke mudde ...bematlab ki behas...meri samjh nahi aata ki aise logo ke khilaaf koi kadam kyon nahi uthaya jata..
मॉफी माँगना और गुस्सा होना। जेंटलमेन बनना और एंग्री यंग मेन बनना यह जिंदगी के दो पहलू है। दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति कहीं न कहीं स्वयं को मजबूर पाता है और कहीं न कहीं वह खूँखार बनकर सामने आता है।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट के अनुसार शाहरूख एंग्रीमेन है और शायद अमिताभ फुस। लेकिन शाहरूख भी यहाँ व्यापार ही कर रहे हैं। उन्हें भी अपनी फिल्म चलानी है सारी दुनिया में और खासतौर से मुस्लिम देशों में। ये सारे व्यापारी हैं, ठाकरे के खिलाफ पहले क्यों नहीं बोले शाहरूख?
जवाब देंहटाएंश्रीमति अजीत गुप्ता जी, जब शाहरुख खान पर हमला बोला सेना ने, तब उसने जवाब दिया। जो एक समयोचित है। आप अमिताभ बच्चन को एक प्रशंसक की नजर से देखती हैं।
जवाब देंहटाएंvery nice,,,
जवाब देंहटाएंappreciable...
uchit samay par uchit baat kahi hai. Fir bhi Amitabhji ke vyvharik drishtikon se dekhen--
जवाब देंहटाएं" Nange se khuda bhi darta hai".
संजय जी एक बिजनसमैन समझ सकता है। आपके द्वारा दी गई पंक्ति को। तो मैंने भी अमिताभ को बुरा नहीं कहा, सिर्फ बिजनसमैन कहा है। बिजनस में कहना किसी को बुरी बात है क्या? दी एंग्री यंग मैन शाहरुख को कहा, क्योंकि उन्होंने अमिताभ द्वारा रुपहले पर्दे पर निभाए किरदार को वास्तव में निभाकर दिखा दिया।
जवाब देंहटाएंमीडिया में अक्सर बड़े नामों की चर्चा होती है. मेरी नज़र में तो असल हीरो अनु कपूर हैं जो एक राष्ट्रवादी हैं. और कभी भी अपने किरदार से समझौता नहीं किया. चाहे बात रियलिटी शो के प्रस्ताव की हो.
जवाब देंहटाएंकुलवन्त भाई, "धंधेबाज" तो शाहरुख भी हैं, यदि न होते तो खुद अपनी टीम में पाकिस्तान के खिलाड़ी खरीदते… तब माना जाता कि वाकई ये "स्टैण्ड" वाले हैं, लेकिन जब बोली खत्म हो गई, सब समाप्त हो गया उसके बाद अपनी फ़िल्म के प्रमोशन के लिये यह राग छेड़ दिया। शाहरुख ने भी "कैलकुलेटेड रिस्क" ली है, उसे पता है कि यदि मुम्बई में यह फ़िल्म प्रदर्शित न हो या न चलने दी जाये तब भी इधर का नुकसान, पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों में "सहानुभूति" बटोरकर भरपाई की जा सकती है। एक बार फ़िल्म को कमा लेने दीजिये, फ़िर शाहरुख भी ठाकरे के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो जायेंगे। "मैंने तो ऐसा नहीं कहा था, मीडिया ने मेरे वक्तव्य को तोड़मरोड़कर पेश किया" कहते हुए…
जवाब देंहटाएंमैं पूरी तरह सहमत हूं। समाज की ज्वलत समस्याओं के प्रति उन लोगों की ज़िम्मेदारी ज़्यादा होती है जिन्हें आमलोग एक आइकॉन मानते हैं। अमिताभ बच्चन एक महान कलाकार ज़रूर हैं पर वक़्त-ज़रूरत ऐसी समस्याओं पर उनकी बेबाक़ राय सुनने को नहीं मिलती। शाहरुख ने ठाकरे के सामने घुटने टेकने से इनकार कर दूसरों को रास्ता दिखाया है। सच्चे मायनों में वो एंग्री यंग मैन से ज़्यादा एक बहादुर और संवेदनशील व्यक्ति हैं। हैट्स ऑफ़ टू शाहरुख्…
जवाब देंहटाएंआप के लेख से सहमत हु| आखिर ठाकरे जी इस देश के भगवान है जो मर्जी में आई बोलदिया देश की अखंडता को खंडित करके अपनी गुंडागर्दी चलाना चाहते है| मुम्बई पर हमले होते है तब इनका महारास्ट्र प्रेम कहाँ जाता है| देश को जोड़ने की कोई बात कही है क्या ठाकरे जी ने
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