कल+आज= सुनहरा भविष्य


कुछ लोगों को आपने अतीत से नफरत होती है, क्योंकि वह सोचते हैं कि अतीत को देखने से उनको उनका बीता हुआ बुरा कल याद आ जाएगा, किंतु मेरी मानो तो अतीत को इंसान नहीं संवार सकता परंतु अतीत इंसान को सीख देकर उसके आने वाले कल को जरूर सुधार सकता है।

आपने अकसर सुना या पढ़ा होगा कि उसने इस सफलता के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा, ये बहुत गलत बात होती है, लिखने वाले और सुनाने वाले को क्या पता उसने अपने हर लम्हे में अतीत को याद किया या नहीं, उसके मन में लिखते या सुनाते समय जो आया उसने लिख और सुनाया दिया, लेकिन खरा सच तो ये है कि सफल इंसान हमेशा आपने अतीत से कुछ न कुछ सीखते हुए सफलता की ओर कदम बढ़ता है। इस कहावत को मैंने तो जन्म न दिया कि 'दूध का जला, छाछ फूंक कर पीता है'। दूध का जला अतीत है, उसको पता चल गया कि दूध गर्म होगा तो मुँह फिर जलेगा। ये वाला अतीत उसका अनुभव हो गया, उसके लिए भविष्य में काम आ रहा है। अतीत में जो हुआ वो अनुभव ही होता, बस उससे कुछ सीखने की जरूरत है। जैसे कि हम जब एक बार पत्थर से ठोकर खाकर गिरते हैं तो दूसरी बार ध्यान से चलते हुए आगे बढ़ते है, हमें पता है कि जब हम गिरे थे तो वह क्षण हमारे लिए कितना बुरा था, मगर सोचो उसने हमें ध्यान से चलना तो सिखाया, इसलिए अतीत को याद रखना बहुत अच्छा है क्योंकि वह आपको भविष्य के लिए सुचेत करता है।

जो लोग अतीत को याद नहीं करते वो बार बार गलतियाँ करते हैं और पछ्ताते हैं, शायद 1947 के विभाजन की बात तो सबको याद होगी, जिनको वो कतलेआम और लहू से लथपथ लाशें जमीं पर पड़ी हुई याद न थी, वे लोग ही 1984, 1993 जैसे घटनाक्रम को अंजाम देते हैं, अगर उनको 1947 वाला कतलेआम याद होता, उस कतलेआम में बेटों की लाशों पर चीखती माताओं की चीख पुकार याद होती, सुहागनों की टूटती चूड़ियों की आवाज याद होती तो वे लोग उसको दूसरी बार न दोहराते, उन लोगों के दिमाग में महज बदले की आग थी, जिसमें वह खुद तो जले ही कुछ मासूमों को भी जला दिया, अगर वो सोचते कि उस कतलेआम में जब उनके माता पिता या भाई बहन जले होंगे तो तब उन पर या उनके अन्य परिजनों पर क्या गुजरी होगी, क्या पता वो ये सोचकर आपने अंदर के शैतान को मारकर प्यार के रंग में रंग जाते. इसलिए अतीत देखो वो तुम्हारा आइना है।

टिप्पणियाँ

  1. अतीत से सीख लो मगर उसमें खोये मत रहो..आगे बढ़ो!

    -यही सही है!!

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  2. However, aapane Saphal aadamee ke peechhe mudkar dekhane ka matlab dusara nikal liya hai. Ismen suchet सुचेत word aapane likha hai use सचेत kar denge to maja aa jayegaa.

    uska matlab keval hota hai ki shuruwati seedhiyon kee taraf naheen aana pada lagatar aage hee badhate gaye. Apana atit jisane bhula diya use future men bahut thokaren khanee padatee hain.

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  3. बढिया आलेख .. अतीत सीख तो दे ही जाता है !!

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  4. बेहद तरतीब और तरक़ीब से अपनी बात रखी है।

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