जिन्दादिली



रोते हुए चेहरे बिकते नहीं
दुनिया के बाज़ार में
क्योंकि जिन्दादिली जीने का नाम है

हो सके तो बचाओ दमन अपना
बदनामी की आंच से
चूंकि यहां बद से बुरा बदनाम है

सोचो मत, मंजिल की तरफ बढ़ो
चढ़ते की टांग खींचना तो,
यहां लोगों का काम है

हर कोई अपने घर में राजा
किसी के पास अल्लाह,
तो किसी के पास राम है

टिप्पणियाँ

  1. सोचो मत, मंजिल की तरफ बढ़ो
    चढ़ते की टांग खींचना तो,
    यहां लोगों का काम है

    सही कहा...

    और इसी का नाम हिन्दुस्तान है!! :)

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सही भाई , आपकी ये कविता सच में प्रेरणा स्रोत है । बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. Aapane Jindadili kavita bahut hee badhiya likhi hai. Beshak aap achchhe kavi bhee hain.

    जवाब देंहटाएं

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