आओ बनाएं "ऑल इंडिया एंटी-रेप फ्रंट"

टेनिस खिलाडी रुचिका गिरहोत्रा हत्या प्रकरण पर एक लेख पढ़ने के बाद मन में खयाल आया कि रुचिका जैसी हजारों बच्चियों को इंसाफ दिलाने के लिए क्यों न एक "ऑल इंडिया एंटी-रेप फ्रंट" बनाया जाए। इस कार्य को शिखर तक केवल ब्लॉगर जगत ही लेकर जा सकता है, क्योंकि आज भारत में से ही नहीं विदेशों में बैठे हुए भारतीय भी ब्लॉगिंग के कारण एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। ब्लॉगर एकता ही बलात्कार पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिला सकती है और उनको जिन्दगी जीने का फिर से एक मौका दे सकती हैं, ताकि रुचिका जैसे लड़कियां अपनी जिन्दगी से हाथ न धोएं। इनके हक में कलम घसीटने के अलावा इनके के लिए जमीनी स्तर पर भी काम किया जाना चाहिए। दिल्ली, मुम्बई, छतीसगढ़, गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, असम, पश्चिमी बंगाल भारत के हर कोने में ब्लॉगर बैठे हुए हैं, जो ऐसी घटनाओं को देखते हुए ही कलम उठा लेते हैं। इतना ही नहीं, इन ब्लॉगरों में बहुत सारे डॉक्टर, बिजनसमैन, वकील, पत्रकार आदि पेशों से जुड़े हुए हैं, जो बलात्कार पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिला सकते हैं, मेरी आप सब से गुजारिश है कि कहीं से भी चुनो बस एक समाज सेवक चुनो, नेता नहीं और चलो शुरू करो एक ऐसा फ्रंट जो मासूम बच्चियों की जिन्दगियों से खेलने वालों को ऐसा सबक सिखाए, आने वाले कुछ सालों में इस फ्रंट की जरूरत ही न महसूस हो और हर महिला, बच्ची आजाद परिंदों की तरह सड़कों पर घूम सके। कलम घसीटते घसीटते अब कुछ पाँव भी घसीटना शुरू कर दे, तभी आपकी ब्लॉगिंग सार्थक होगी।

टिप्पणियाँ

  1. ब्लॉगिंग का यह भी एक हिस्सा होने चाहिए की समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए अपने कलाम उठाएँ जब हम सार्थक लिखते है तो क्यों ना इसका प्रयोग सार्थक हो और देश,व्यक्ति और समाज के ज़रूरत मंद में काम आए और न्याय की राह देख रहे को न्याय दिलाएँ..बढ़िया सराहनीय लेख..धन्यवाद भाई

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  2. कुछ ज्यादह उम्मीद लगाए हो. पहले आप्सी जूतम पैजार से तो फ्री हो लें।

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  3. मैं भी समर्थन करता हूँ ।

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  4. जागरुकता की दरकार है, एक और नेता या समाज सेवक की नहीं...इस सेवा को धर्म मान सब करें..अच्छा चिन्तन किया.


    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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