रणभूमि की चलत-तस्वीर 'सेविंग प्राइवेट रेयान'


जज्बा किस चिड़िया का नाम है? युद्ध किसे कहते हैं? देश के लिए लड़ने वालों की स्थिति मैदान जंग में कैसी होती है? युद्ध के समय वहां पर क्या क्या घटित होता है? युद्ध सेनाओं से नहीं, हौंसलों से भी जीता जा सकता है। कुछ तरह की स्थिति को बयां करती है 1998 में प्रदर्शित हुई 'सेविंग प्राइवेट रेयान'।

फिल्म की कहानी शुरू होती है ओमाहा बीच जर्मनी से, जहां जर्मन फौजें और अमेरिकन फौजें आपस में युद्ध कर रही होती हैं। ओमाहा बीच पर उतरी अमेरिकन फौज की टुकड़ी की स्थिति बहुत नाजुक हो जाती है, पूरी टुकड़ी हमलावरों के निशाने में आने से लगभग खत्म सी हो जाती है। कुछ ही जवान बचते हैं, जो हौंसले के साथ आगे बढ़ते हुए दुश्मनों पर फतेह हासिल कर अपने मशीन को आगे बढ़ाते हैं। ओमाहा बीच पर उतरी टुकड़ी की अगवाई कर रहे कैप्टन जॉहन एच मिलर (टॉम हंक्स) को हाईकमान से आदेश मिलता है कि एक जवान को ढूंढकर उसके घर पहुंचाना है। उसके लिए कैप्टन मिलर को एक टीम मिलती है। युद्ध चल रहा है, लेकिन कैप्टन अपनी ड्यूटी निभाते हुए उस नौजवान जेम्स फ्रांसिस रेयान (मैट डॉमन) को ढूंढने निकल पड़ता है। इस दौरान उसको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो उसके जज्बे के आगे ढेर हो जाती है, प्रस्त हो जाती हैं। आखिर वो अपने दो साथियों को खोने के बाद जेम्स फ्रांसिस रेयान तक पहुंच जाता है और उसको वापिस जाने के लिए कहता है, मगर जेम्स अपने फर्ज को बीच में छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं होता। आखिर जंग के मैदान में दुश्मनों से लड़ते लड़ते कैप्टन मिलर और उसके अन्य आठ साथी अपनी जान गंवा देते हैं, जो रेयान को बचाने के लिए निकले थे।

युद्ध भूमि के दृश्यों को बहुत ईमानदारी के साथ फिल्माया गया है। युद्ध के दौरान सैनिकों की मनोवृत्ति किस तरह की हो जाती है, उसको भी खूब दिखाया है। साथियों की मृत्यु के बाद कैसे जवानों को आगे बढ़ना पड़ता है। कम गोला बारूद और औजारों के बिना भी दुश्मनों के साथ कैसे लोहा लेना पड़ता है को भी निर्देशक स्टीविन स्पीलबर्ग ने बहुत उम्दा ढंग से प्रस्तुत किया है। फिल्म की कहानी को पूरी कसावट के साथ निर्देशक आगे बढ़ाता है। हिन्दुस्तान में भी युद्ध पर काफी फिल्में बनी है, लेकिन हमारे यहां कुछ नियमों के चलते फिल्म निर्देशक युद्धभूमि को उतनी नजदीक से नहीं दिखा पाए, जितना कि स्टीविन ने अपनी फिल्म सेविंग प्राइवेट रेयान में दिखाया है। अगर अभिनय की बात की जाए तो टॉम हंक्स, मैट डॉमन, एडवर्ड बर्नस, जर्मनी डेविस, बेरी पाईपर, विन डीज़ल ने बहुत उम्दा अभिनय किया है।

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टिप्पणियाँ

  1. पहले तो सुन्दर टेम्पलेट की बधाइयाँ...एक अच्छी फिल्म के अच्छी जानकारी..

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