सुधारो, बिगाड़ो न हिन्दी को


मुझे गुस्सा आता कभी कभी अखबार समूहों के बड़े बड़े ज्ञानियों पर जब वो लिखते हैं कि 'राहुल का स्वयंवर' ! खुद को हिन्दी के सबसे बड़े हितैषी कहते हैं, लेकिन हिन्दी के शब्दों के सही अर्थ देखे बिना ही बस झेपे जा रहे हैं फटे नोटों पर चेपी की तरह। सीता माता ने स्वयंवर रचा था, वो सही था क्योंकि सीता माता ने स्वयं के लिए वर चुना था, जिसको मिलकर एक शब्द बना स्वयंवर मतलब खुद के लिए वर चुनना।

अगर उस समय श्री राम स्वयं के लिए वधू चुनते तो क्या तब भी उसको स्वयंवर कहा जाता, कदापि नहीं क्योंकि उस समय के लोगों की हिन्दी आज से कई गुना बेहतर थी, वो स्वयंवधू कहलाता। वर लड़की चुनती है और वधू लड़का। शायद मीडिया राखी का स्वयंवर देख भूल गया कि स्वयंवधू नामक भी कोई शब्द होता है।
हां, तब शायद राहुल का स्वयंवर शब्द ठीक लगता, अगर वो भी लड़कों में से ही अपना जीवन साथी चुनते, दोस्ताना फिल्म की तरह।

मुझे लगता है कि राहुल को ऐसा ही करना चाहिए, क्योंकि वो लड़की के साथ तो शादी जैसा संबंध निभा नहीं पाए, शायद लड़कों संग चल जाए जिन्दगी की गाड़ी। कभी कभी सोचता हूं कि कि मीडिया वाले भी इस लिए राहुल का स्वयंवर लिख रहे हैं, उनको भी पता चल गया कि राहुल अब लड़की से नहीं, लड़के से शादी करने जा रहा है।

आशीर्वाद भी बनता है आर्शीवाद
ऐसे ही एक और शब्द, जो हर बार गलती का शिकार होता है और बन जाता है आर्शीवाद। जबकि देखा जाए तो सही शब्द होता है आशीर्वाद। मैं हिन्दी क्षेत्र से नहीं, मैं पंजाब के बहुत पिछड़े हुए क्षेत्र स्थित एक सरकारी स्कूल में पढ़ा हूं, जहां पर शिक्षक तो ऐसे रेगिस्तान में पानी जैसे। फिर भी शायद इन मीडिया वालों से अच्छी हिन्दी जानता हूं।


टिप्पणियाँ

  1. वाह जी वाह , सही सोचा है

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  2. बहुत सही कहा अब फर्क कहाँ रहा है वर वधू मे ? अब तो कोर्ट णै भी बराबरी का हक दे दिया है ---- चलो फिर तुम्हें आशीर्वाद भी दे देते हैं सही है?

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  3. सच कहाँ भाई अगर कुछ ऐसा सुनने को मिले तो आश्चर्य नही होना चाहिए हमें..बढ़िया आइडिया ..बधाई.

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  4. सही बात उठाई है आपने.. शब्दों को शुद्ध लिखा जाना चाहिए

    हैपी ब्लॉगिंग

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