जलाल देखा
आज कई दिनों के बाद
तेरे चेहरे पे खुशी का जलाल देखा
ए बिछोह के सुल्तान
फिर तेरे मनांगन को खुशहाल देखा
तुम खुश क्या हुए
हकीकत में बदलता हुआ ख्याल देखा
तेरे चेहरे का नूर देख
दुश्मनों के लबों पर आया सवाल देखा
लौटी तेरे घर खुशी
हैपी ने आँख से कुदरत का कमाल देखा
तेरे चेहरे पे खुशी का जलाल देखा
ए बिछोह के सुल्तान
फिर तेरे मनांगन को खुशहाल देखा
तुम खुश क्या हुए
हकीकत में बदलता हुआ ख्याल देखा
तेरे चेहरे का नूर देख
दुश्मनों के लबों पर आया सवाल देखा
लौटी तेरे घर खुशी
हैपी ने आँख से कुदरत का कमाल देखा
भय्या ये तो किसी खास के लिए लगती है........
जवाब देंहटाएंबस आगे यही कहूँगा की......
"हैप्पी की आँगन में खुशिया फैलाने वाले..
समेटे सारी दुनिया को बस इक ही छत के तले..
मुस्कराहट बनी रही चहरे पर ऐसे..
किसी के लिए खास नही ये आम हो जाये.."
भाई वाह क्या बात है, दिल को छु गयी आपकी ये रचना। बहुत-बहुत बधाई........
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत एहसास है/दिल के करीब है वो/और यह कविता भी/बधाई स्वीकारे!
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