जलाल देखा

आज कई दिनों के बाद
तेरे चेहरे पे खुशी का जलाल देखा

ए बिछोह के सुल्तान
फिर तेरे मनांगन को खुशहाल देखा

तुम खुश क्या हुए
हकीकत में बदलता हुआ ख्याल देखा

तेरे चेहरे का नूर देख
दुश्मनों के लबों पर आया सवाल देखा

लौटी तेरे घर खुशी
हैपी ने आँख से कुदरत का कमाल देखा


टिप्पणियाँ

  1. भय्या ये तो किसी खास के लिए लगती है........
    बस आगे यही कहूँगा की......
    "हैप्पी की आँगन में खुशिया फैलाने वाले..
    समेटे सारी दुनिया को बस इक ही छत के तले..
    मुस्कराहट बनी रही चहरे पर ऐसे..
    किसी के लिए खास नही ये आम हो जाये.."

    जवाब देंहटाएं
  2. भाई वाह क्या बात है, दिल को छु गयी आपकी ये रचना। बहुत-बहुत बधाई........

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही खुबसूरत एहसास है/दिल के करीब है वो/और यह कविता भी/बधाई स्वीकारे!

    जवाब देंहटाएं

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