लहू के धब्बे बनते हैं 'कुमारित्व' के गवाह


पिछले महीने अफगानिस्तान की ओर से खबर आई थी कि अगर पति की सैक्स भूख को एक पत्नी शांत नहीं करती तो उसको भूखे पेट रहना पड़ सकता है, लेकिन कुछ दिन पहले एक ऐसी ही मन को झिंझोड़कर रख देने वाली एक और खबर पढ़ने को मिली। यहां की महिलाओं के लिए शादी के बाद की पहली रात सुहागरात नहीं बल्कि इम्तिहान की रात होती है, अगर इम्तिहान में असफल हुई तो बदले में मिलेगा तलाक।

जी हां, पामीर की खूबसूरत पहाड़ियों की कोख में बसे ताजिकिस्तान की खूबसूरत महिलाओं को एक कड़े इम्तिहान से गुजरना पड़ता है, क्योंकि आज भी वहां के मर्दों की सोच पर वो ही पुरानी कबिलाई मानस्किता हावी है। वो आज भी चादर पर खून के धब्बे देखकर महिला की कौमार्य या कुमारित्व का पता लगाते हैं, अगर वो असफल हुई तो वो अगली सुबह शादीशुदा नहीं बल्कि तलाकशुदा कहलाएगी।

रूस यात्रा पर गई प्रतिभा पाटिल के साथ यात्रा कर रहे नई दुनिया के स्थानीय संपादक जयदीप कार्णिक की 8 सितम्बर को प्रकाशित हुई रिपोर्ट कुछ ऐसा ही खुलासा करती है। जहां ताजिकीस्तान की महिलाओं को इस इम्तिहान से गुजरना पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ हॉलीवुड की सुंदरी मैगन फॉक्स बड़े बिंदास ढंग से कहती है कि उसने केवल 17 साल की आयु में ही कुमारित्व खो दिया था, वो किसी के प्यार में पागल थी, जिसका वो नाम नहीं लेती।

आज के समय में अगर भारतीय ताजिकीस्तानियों की इस सोच पर अमल करने लगे तो शायद बहुत कम लड़कियां इस इम्तिहान में पास होंगी। आज की कड़वी सचाई है, लेकिन सवाल तो ये है कि कुमारित्व की परीक्षा केवल लड़कियों को क्यों देनी पड़ती है, मर्दों के लिए कोई मापदंड क्यों नहीं। मुझे याद आ रही है बहुत साल पहले दैनिक जागरण द्वारा पहले पन्ने के बॉटम पर प्रकाशित एक शोध आधारित खबर, जिसमें लिखा गया था कि 70 से ज्यादा फीसदी लड़कियां कौमार्य शादी से पहले ही खो देती हैं, शायद तब मैं तो इसका अर्थ भी न जानता था। उस बात को पांच छ: साल हो गए, आज तो ये संख्या बढ़कर और भी हदें पार कर गई होगी, लेकिन इसके लिए भी दोषी ज्यादा तो मर्द ही होता है।

पिछले दिनों बीबीसी में छापी एक रिपोर्ट के मुताबिक हर तीसरी किशोरी सैक्स की डिमांड पूरी न करने के कारण अपने पुरुष मित्र के गुस्से का शिकार होती है। बहुत सी लड़कियां तो झूठा मूठा प्यार करने वाले फरेबियों के चक्कर में आकर कुमारित्व खो लेती हैं। मैगन फॉक्स जैसी बोल इसलिए देती है कि क्योंकि उनको इससे पब्लिसिटी मिलती है, जबकि आम महिलाओं को इसका खुलासा करने के बाद केवल बदनामी, तिरस्कार ही मिलेगा।


ख़बर से पता चल रहा था कि वहां की महिलाएं मर्दों के मुकाबले ज्यादा कर्मठ, मेहनती एवं हिम्मत वाली हैं, लेकिन फिर भी इस अग्निपरीक्षा से उनको ही गुजरना पड़ता, कितनी हैरानी की बात है। जब मैं इस खबर को पड़ रहा था, तो दिमाग में एक सवाल बार बार उठ रहा था कि वहां कोई भी इस सोच के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाला नहीं, क्या इन कोखों ने कोई ऐसा शख्स नहीं जना, जो इनकी वकालत कर सके?


टिप्पणियाँ

  1. वाकई अफ़सोसजनक... हैपी ब्लॉगिंग

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  2. असल मे अनपढ्ता इसका सब से बडा कारण है इस के और भी बहुत से कारन हैं सिर्फ सेक्स ही इसका कारण नहीं है आज जब लडकियां पुरुशों के बराबर खेल कूद प्रतिस्पर्धाओं मे भाग ले रही हैं साईकल चला रही हैं पोलिस मिलिटरी मे आने के लिये कठिन शारीरिक परीक्षायेण दे रही हैं तो इस कौमार्य की आशा करना कितनी बडी मूर्खता है और मुस्लिम देशों के मर्दों को तो वैसे भी बहाना चाहिये बीवी बदलने का ।ये बहुत महत्वपूरं विश्य है मुझे इस् li ए इस पर कम्मेन्ट करना पडा कि अभी कुछ दिन पहले हमारे साथ लगते गाँव मे ऐसा ही मामला सामने आया है। लडकी वालों को डाक्टर से मिलवाया गया डाक्टर ने उन्हें समझाया और सारी प्रक्रिया बतायी तब जा कर मामला सुलझा भारत मे भी कम नहीं होते ऐसे मामले मगर शर्म के कारन लोग छुप रहते हैं । इस विश्य पर जागरिती लाने की आवश्यक्ता है सभी मामले मे जरूरी नहीं कि लदकी दोशी हो। आभार इस विश्य को उठाने के लिये। अस्पताल मे काम करते हुये भी ऐसे कई मामले सामने आये हैं इस लिये भी कम्मेन्ट दे रही हू

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  3. अफ़्सोस ऐसा भी है अभी

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  4. निर्मला माँ से सहमत हूँ, इसका मुल कारण अगर देखा जाये अशाक्षरता ही है। आपके इस बात से सहमत हूँ कि इस तरह के परिक्षण मर्दो के लिए क्यों नहीं। मेरा मानना है कि समान मापदंड होने चाहिए चाहे वह पुरुष हो या औरत।

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  5. bilkul sahi wishya ko mudda banaya hai apane ......mardo ke liye bhi honi chahiye aisi maap dand......par hai nahi yah dukh ki bat hai .....aaj ki tarikh me aise mamalo ka hona sharmnak hai .........mai aapaka bahut bahut abhaari hu ki aisi muda par post laye ......shukriya

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  6. दुखद है यह । हम तो स्तब्ध हो गये ।

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  7. नारियों को हमेशा से ही परीक्षाएं देनी पड़ती है। फिर वो सीता हो या आज की नारी...

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  8. अभी भी इतनी मूढ़ता है दुनिया में ! मगर इसके पीछे की मनो ग्रंथि क्या है ?

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  9. क्या कहें! अफसोसजनक!

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  10. क्या भारत में ऐसी बातें नहीं हैं,,,, मै अपने कई मित्रों को जानता हूँ, जो इस तरह की बात करते हैं........

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  11. मुस्लिम देशो में ही ऐसा नही होता जबकि वाकई में भारत में भी ऐसी सोच के लोग मिलतें हैं..... और सभ्य समाज से सम्बंधित लोग भी ऐसे कहते हुए कभी-कभी सुनाई पड़ जाते है.....
    इसका एक समाधान यौन शिक्षा भी है जिसे अनिवार्य भी किया जा सकता है.....

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