सवाल
बादलों की तरह घूमते हैं सवाल
ध्वनि की तरह गूंजते हैं सवाल
पता नहीं आए कहां से कब सवाल
मुमकिन नहीं, समझे हम सब सवाल
रास्तों की तरह जुदा होते हैं सवाल
हम को कहां से कहां ढोते हैं सवाल
एक तूफान की तरह आते हैं सवाल
फिर कहीं गुम हो जाते हैं सब सवाल
कभी कभी रास्ता दिखाते हैं सवाल
कभी कभी कमजोर बनाते हैं सवाल
मन की उपज है या दिमाग की
न जाने कहां से ये आते हैं सवाल
ध्वनि की तरह गूंजते हैं सवाल
पता नहीं आए कहां से कब सवाल
मुमकिन नहीं, समझे हम सब सवाल
रास्तों की तरह जुदा होते हैं सवाल
हम को कहां से कहां ढोते हैं सवाल
एक तूफान की तरह आते हैं सवाल
फिर कहीं गुम हो जाते हैं सब सवाल
कभी कभी रास्ता दिखाते हैं सवाल
कभी कभी कमजोर बनाते हैं सवाल
मन की उपज है या दिमाग की
न जाने कहां से ये आते हैं सवाल
द्वारा 26 जुलाई, 2008 10:57:51 PM IST पर टिप्पणी #
जवाब देंहटाएंआपकी कविता बहुत अच्छी लगी। घुघूती बासूती
द्वारा 26 जुलाई, 2008 4:02:53 PM IST पर टिप्पणी #
जवाब देंहटाएंमन की उपज है या दिमाग की न जाने कहां से ये आते हैं सवाल --बढ़िया है शुभकामना.
द्वारा 26 जुलाई, 2008 10:59:00 AM IST पर टिप्पणी #
जवाब देंहटाएंजन्म, मरण और परण यानी सारी जिंदगी एक सवाल ही है जिसका उत्तर कोई खोज नहीं पाया और फिर भी सभी लोग लगे हैं एक सवाल का जवाब ढूंढने में जो फिर अपने में सवाल बन जाता है।
द्वारा 26 जुलाई, 2008 8:59:29 AM IST पर टिप्पणी #
जवाब देंहटाएंसवाल दर सवाल मगर [है नही कोई जवाब जिसका] रहेगा मलाल !!
द्वारा 24 जुलाई, 2008 6:05:20 PM IST पर टिप्पणी #
जवाब देंहटाएंलिखते रहो..लिखते लिखते ही लिखना आता है.. जो भी लिखा बढ़िया लिखा है... अनुराग दिल्ली से
द्वारा 26 जुलाई, 2008 11:59:24 AM IST पर टिप्पणी #
जवाब देंहटाएंबहुत ब.ढिया
वाह बहुत बढ़िया........
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