तेरा मेरा रिश्ता

मैं प्यासा हूं, तू नदिया है
मैं भँवरा हूं, तू बगिया है
तेरा मेरा रिश्ता सदियों पुराना
तेरा पता नहीं, मैंने तो ये माना



मैं हूं काव्य, तो तू कवि है
मैं हूं सुबह अगर तू रवि है
मैं कैदी हूं तो तू ही तहखाना
तेरा मेरा रिश्ता सदियों पुराना
तेरा पता नहीं, मैंने तो माना

मैं मुसाफिर तू रस्ता*1 है
मैं किताबें तू बस्ता है
मेरी आदत बस तुझमें समाना
तेरा मेरा रिश्ता सदियों पुराना
तेरा पता नहीं, मैंने तो माना

पिंजर हूं मैं और जान है तू
रिश्ते से क्यों अंजान है तू
राग अगर मैं तू ही तराना
तेरा मेरा रिश्ता सदियों पुराना
तेरा पता नहीं, मैंने तो माना

1.रास्ता

टिप्पणियाँ

  1. एक भावनाओ मे डुबी रचना .......कई बार ऐसा होता है ........सदियो की मिलन भी अंजाना बना देता है एक दुसरे को पर उन्हे याद भी दिलानी पडती है या एक जन्म और इंतजार करना पड्ता है .

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