एक ब्लॉगर कहत सब लेखक होए
एक ब्लॉगर कहत सब लेखक होए।
और ब्लॉगर पाठक बचा न कोए।।
तब मोहे मुंह से कुछ ऐसे वचन होए।
पाठक ही पाठक यहां, बस तुम ही सोए॥
तुम न जावत घर किसी के
तो तोरे घर कौन आए।
माना तुम उच्चकोटि के
घमुंडवा तो किसी न भाए॥
अपने घरीं सब राजा, रंक न कोए।
सब जावत वहीं, जहां इज्जत होए॥
टिप्पणी नहीं आई तो का हुआ।
पसंद नहीं चटकाई तो का हुआ॥
वो दर हमार आए तो सही।
ले कर प्यार आए तो सही॥
और ब्लॉगर पाठक बचा न कोए।।
तब मोहे मुंह से कुछ ऐसे वचन होए।
पाठक ही पाठक यहां, बस तुम ही सोए॥
तुम न जावत घर किसी के
तो तोरे घर कौन आए।
माना तुम उच्चकोटि के
घमुंडवा तो किसी न भाए॥
अपने घरीं सब राजा, रंक न कोए।
सब जावत वहीं, जहां इज्जत होए॥
टिप्पणी नहीं आई तो का हुआ।
पसंद नहीं चटकाई तो का हुआ॥
वो दर हमार आए तो सही।
ले कर प्यार आए तो सही॥
बहुत ही बढिया.........
जवाब देंहटाएंसही है !!
जवाब देंहटाएंवो दर हमार आए तो सही।
जवाब देंहटाएंले कर प्यार आए तो सही॥
-बस यही भावना लिए लिखते रहो॒! बेहतरीन!
jab aaye tum hamar dar|
जवाब देंहटाएंto hma chale aaye tumhare ghar||
uthaaye apnaa sar|
aapki rachna bahut pyaari hai |
theek hai jee...
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