जिन्दगी
एक कविता आधी अधूरी आपकी नजर
तन्हा है जिन्दगी
अब तो
फना है जिन्दगी
आपको क्या बताऊं
खुद को पता नहीं
कहां है जिन्दगी
ताल मेल बिठा रहा हूं
बस
जहां है जिन्दगी
इसके आगे
एक नहीं चलती
जैसे मौत के आगे इसकी
जिन्दगी कभी जहर
तो कभी व्हस्की
बस इसका
हर मोड़ है रिस्की
फिर नहीं आती
एक बार जो यहां से खिसकी
तन्हा है जिन्दगी
अब तो
फना है जिन्दगी
आपको क्या बताऊं
खुद को पता नहीं
कहां है जिन्दगी
ताल मेल बिठा रहा हूं
बस
जहां है जिन्दगी
इसके आगे
एक नहीं चलती
जैसे मौत के आगे इसकी
जिन्दगी कभी जहर
तो कभी व्हस्की
बस इसका
हर मोड़ है रिस्की
फिर नहीं आती
एक बार जो यहां से खिसकी
बहुत खुब भाई दिल खुश हो गया...........
जवाब देंहटाएंअगर यह आधी अधूरी है
जवाब देंहटाएंतो पूरी (आलू की सब्जी सहित)
कहां है
bahut khoob kya baat hai .
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