पंजाब में तो बोर्ड पर बोर्ड

आज सारा दिन खबरिया चैनलों पर एक ही चीज थी, दसवीं बोर्ड, सुबह से शाम तक सुनते सुनते पक गया। पंजाब में तो दसवीं तक आते आते दो बार बोर्ड की परीक्षा से गुजरना पड़ता है, और दसवीं एवं 12वीं कक्षा भी पंजाब में बोर्ड की हैं। पांचवीं कक्षा, आठवीं कक्षा, दसवीं कक्षा एवं बारहवीं कक्षा सब में बोर्ड की परीक्षा से गुजरना पड़ता है, जबकि अन्य राज्यों में तो दसवीं में ही शायद बोर्ड की परीक्षा होती है। अगर बोर्ड की परीक्षा को हटा दिया जाएगा तो ग्रामीण क्षेत्रों में मास्टरों की बल्ले बल्ले हो जाएगी। गधे और घोड़े एक रेस में आ जाएंगे, क्योंकि बोर्ड की परीक्षा के अलावा अन्य कक्षाओं की परीक्षाओं के नतीजे दबाव में बनते हैं। मुझे आज भी याद है, मेरे गाँव में अमीर परिवारों से संबंधित लोग बोर्ड की कक्षाएं छोड़कर अन्य कलासों में से बच्चों को पास करवाने के लिए स्कूल में आकर टीचरों पर दबाव डालते थे। इतना ही नहीं उनको शाम को घर जाते समय प्यार रूपी रिश्वत देने से भी बाज नहीं आते थे। खेतों से सब्जी लाकर देना, गन्ने थाम देने, दिन में चाय दूध लस्सी (छाछ) आदि भेजना। गांव में टीचरों की आओ भगत (मेहमान निवाजी) बहुत होती है, सिर्फ अपने बच्चों को पास करवाने के लिए। इतना ही नहीं बोर्ड की परीक्षा के वक्त भी परीक्षा निगरान को लस्सी दूध एवं चाय के रूप में रिश्वत देने बहुत जाते हैं। कुछ टीचर इस बात का फायदा भी उठाते हैं, बच्चों को पास करने के लिए गेहूं भी ले जाते हैं। बोर्ड में ऐसा होना मुश्किल सा हो जाता क्योंकि वहां पर बच्चों को पास करवाने के लिए बड़ा जैक चाहिए, छोटे मोटे से काम नहीं होता। पहले तो पता ही नहीं चलता कौन से स्कूल के पेपर किसी शिक्षक के हाथों में जाते हैं। अगर बोर्ड की कक्षाएं टूट जाती हैं, तो अच्छी पढ़ाई करने वालों को बिन जुर्म के खमियाजा भुगताना पड़ेगा। मायावती ने तो अपनी माया दिखाते हुए छ: में से पांच में भी पास होने वाले को पास घोषित करने का ऐलान कर दिया। अगर सरकार कुछ करना चाहती है तो स्कूलों में टीचरों की भर्ती करें, वहां पर पढ़ाई को उच्चस्तरीय बनाए। शिक्षा प्रणाली को सुधारने की जरूरत है, न कि बोर्ड हटाने की परीक्षा देने वाले के लिए क्या बोर्ड, क्या आम कक्षा। वहां भी वो ही लिखना है और आम कक्षा की क्लासों में भी वो ही लिखना है। बोर्ड को हौआ बना कर रख दिया, फालतू में।

टिप्पणियाँ

  1. बेनामी6/25/2009 11:19 pm

    बात आप सही कह रहे कि शिक्षा प्रणाली को सुधारने की जरूरत है, न कि बोर्ड हटाने की

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  2. सुधार नहीं सकते न
    सुधार सदा रहेगा उधार
    उधर यही करते हैं
    सदा बेजार करते हैं

    जवाब देंहटाएं

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