रामू ने चुराई रण की स्टोरी..!

रामगोपाल वर्मा एक ऎसा निर्देशक जो हमेशा विवादो में घिरा रहता है। कभी वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पीछे पीछे किसी पालतू कुत्ते की तरह मुंबई की उस ताज होटल को देखने (अपनी भविष्य की फिल्मो का प्लोट्स ढूँढने) चला जाता है जहाँ पर आतंकवादी हमला हुआ था, तो कभी बिना मतलब की फिल्मो (नि:शब्द) को बनाकर समाज को गुमराह करता रहता है।

यह वही निर्देशक है जो होलीवुड के महान निर्देशक फ्रांसिस फोर्ड कपोला की फिल्म गोड फाधर से प्रेरित (प्रेरित शब्द बोलने में अच्छा लगता है इसलिए यहाँ पर लिख रहाँ हूँ वरना सही शब्द चोरी और उठांतरी है।) होकर सरकार और सरकार राज जैसी फिल्मे बनाकर सफलता का ताज अपने शिर पर पहन लेता है ।

यह वही शख्स है जो किसी से धोखाधड़ी करने में भी कभी पीछे मुडकर नहीं देखता। सफलता पाने के लिए कभी-कभी यह शख्स अपने नाम (राम) का भी दूरुपयोग करके देश के हितो और गीतो (राष्ट्रगान) को भी अपनी शैली में बेचने पर तैयार हो जाता है।

विश्वास न आ रहा हो तो जरा इस पक्तिं को पढिए..

''जन गण मन रण है, इस रण मैं जख्मी हुआ है भारत का भाग्यविधाता।
पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा एक दूसरे से लड़के मर रहे है।

रामू की अगली फिल्म ''रण'' का ये गीत राष्ट्रगान जन गण मन अधिनायक को आधार बनाकर लिखा और गाया गया है। इस गाने की धुन राष्ट्रगान की है। रामू के कहने पर राष्ट्रगान के शब्दों को भी इस गीत के लेखक ने जमकर इस्तेमाल किया है। अच्छा है कि आज हमारे बीच में आदरणीय गुरूदेव (रविन्द्रनाथ टैगोर) उपस्थित नहीं है वरना वह अपने द्वारा लिखित इस महान रचना के शब्दो पर दूसरे लेखको और निर्देशको के द्वारा किए गए कत्लेआम को कभी भी सह नहीं पाते ।

खैर.. फिलहाल में राष्ट्रगान के अपमान की बात नहीं करना चाहूँगा क्योंकि मेरे कई ब्लोगर भाईयों ने इस बात को लेकर पहले से ही अपना गुस्सा अपने-अपने ब्लोगो में निकाल चूके है। उन्होने अपने ब्लोगों मैं यह भी लिखा है कि किस प्रकार इस निर्देशक ने हमारे राष्ट्रगान का मनमाफिक इस्तेमाल कर लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाई है।

खैर यहा पर में जो बात करना चाहूँता हूँ वह रामू के द्वारा कि गई धोखाधड़ी की है । मैं बात करना चाहूँगा मिस्टर विपुल राठोड की जो गुजरात के राजकोट शहर के एक सुप्रसिद्ध अखबार के पत्रकार है। विपुल पत्रकारिता के अलावा कभी कभी लेखन में भी अपने हाथ अजमाते है । आज से दो-साल पहले उनके दिमाग में एक स्टोरी आई और उन्होने उसे कागज पर उतारा। स्टोरी अंग्रेजी में लिखी गई जिसका शिर्षक था THE WAR ।

विपुल राठोड ने यह स्टोरी निर्देशक राम गोपाल वर्मा की फिल्म प्रोड्कशन कंपनी को भेजी लेकिन प्रोड्कशन हाउस के सभ्यो ने उस वक्त ऎसा कहाँ कि आपकी कथा का स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह सामान्य कथा है। विपुल ने इस स्टोरी में एक पंच लाईन भी डाली थी वह कुछ इस प्रकार थी ।

SOME TIME TRUTH LOOSES...
AND U HAVE USED
TRUTH IS TERRIBLE...

आश्वर्य की बात तो यह है कि यही पंचलाईन रामू की अगली फिल्म 'रण' से काफी हद तक मिलती जुलती है । इसे हम आश्वर्य कहे या फिर इत्तफाक क्योंकि विपुल ने जो स्टोरी लिखी वह भी रामू की अगली फिल्म 'रण' से काफी हद तक मिलती-जुलती है। विपुल का कहना है कि आज से दो-साल पहले जब उसने राम गोपाल वर्मा के प्रोडकशन हाउस से संपर्क किया तो उनकी बातचीत नीरज नाम के किसी शख्स के साथ हुई। निरज ने उसे बताया कि विपुल को अपनी स्टोरी कहाँ पर भेजनी है। विपुल नें वैसा ही किया जैसा नीरज ने उसे करने के लिए कहाँ । निरज ने अपना इमेल पत्ता (neeraj@factoryatwork.com) विपुल को भेजा ।

लेकिन जब विपुल को लगा कि उनके द्वारा भेजी गई कथा को राम गोपाल वर्मा ने वैसे के वैसे ही उठा लिया है तब उन्होने निरज का संपर्क साधने की कोशिष की लेकिन अफसोस निरज ने जो ई-मेल पत्ता भेजा था वह बाउन्स हो गया है। विपुल ने अपनी स्टोरी का क्या हुआ इस संघर्भ में राम गोपाल वर्मा के ब्लोग पर भी अपनी टिप्पणी भेजी ( http://cid-5187b91811914fb4.profile.live.com/) लेकिन अब तक रामू ने उसका कोई जवाब नहीं भेजा। विपुल अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहै है और मीडिया और हम ब्लोगर भाईयों की मदद चाहते है ता कि हम बोलीवुड मैं मुक्त की वाह वाह बटोरने वाले निर्माता-निर्देशको को जनता के सामने ला पाए ।

विपुल ने जो स्टोरी लिखी है अगर आप सभी लोग उसे पढना चाहते है तो आप उसे इ-मेल (vipul1312@yahoo.com) कर सकते है। उसे पढ़ने के बाद आप खुद जान जाएंगे कि आखिर रामू सफलता पाने के लिए किस हद तक जा सकते है ।

( कृपया यह बात हर ब्लोगरो और अपने मित्रो तक पहुँचाए। पत्रकार भाईयों से गुजारिश है कि कृपया आप भी इसमें अपना योगदान दे ताकि भविष्य मैं कभी किसी पत्रकार के साथ कोई अन्याय न हो सके । अपनी प्रतिक्रिया अवश्य भेजे और हिन्दी सुधारके पढ़े । जनक...नाम तो याद रहेगा..शायद )

असली लिंक यहां है..
http://jp.mywebdunia.com/2009/05/12/1242144776001.html

टिप्पणियाँ

  1. हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है....

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  2. हुज़ूर आपका भी ....एहतिराम करता चलूं .......
    इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

    कृपया अधूरे व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें।
    मेरा पता है:-
    www.samwaadghar.blogspot.com
    शुभकामनाओं सहित
    संजय ग्रोवर

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  3. चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है. शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  4. aapki kalam me taqat hai........
    ye bani rahe
    BADHAI

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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