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मार्च, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कुछ मन से निकले

जैसे भी चलता हैं चक्कर चलाओ मेरे बेटे को नेता बना ओ----मेंनिका गाँधी बदनाम हुए तो क्या हुआ यारों नाम तो हुआ --- एल के आडवानी जी हाँ खलनायक हूँ मैं जुल्मी बड़ा दुखदायक हूँ मैं---वरुण गाँधी यहाँ भी आईये खेत और ऑफिस

व्यंग काव्य-नैनोकली

गली गली एक बात चली आ गई टाटानी नैनोकली बेटी अपने डैड से बोली स्कूटरी छोड़ो ले दो बस नैनो ओनली सुनो जी, इस बार एमएजी ना देना पति खुश हुए पत्नी बोली नैनो ला देना मुश्किल नहीं संता बंता को समझाना मुश्किल जनता को कौन समझाए ये सब भेड़ चाल है ट्रैफिक का तो पहले ही बुरा हाल है 5227 लेकर जब निकलता हूं मैं ही जानु कितना धूंआं निगलता हूं. एमएजी (marriag anversy gift)5227 (motor cycle no)

एक कविता ब्लॉगरों के नाम

देखा नहीं, और कहीं, नई सड़क स्थित कस्‍बा के रहवासी हर ब्लॉग पर है पता इनका सवार रहते हैं उड़न तश्तरी समीर नाम जिनका अविनाश हैं कीबोर्ड के खटरागी, टिप्पणियों के रूप में कविताएं जिन्होंने दागी जैसे जैसे ब्लॉग पढ़ता जाऊं समयचक्र के साथ आगे बढ़ता जाऊंगा कभी कभी कुछ ख़ास लेकर आऊंगा

द वरुण-घटिया सोच, जहरीली जुबां

'नफरती ठाकरे' के बाद घटिया सोच की उपज इसकी अगली कड़ी है 'द वरुण-घटिया सोच, जहरीली जुबां, इस फिल्म को बड़े पर्दे पर नहीं बल्कि छोटे पर्दे पर पेश किया जा रहा है। इसका नायक राज ठाकरे की वंश का नहीं, लेकिन उसकी सोच एवं उसके शब्द उसका कनेक्शन राज ठाकरे से जोड़ते हैं. इसका जन्म तो एक गांधी परिवार में हुआ, लेकिन गांधी होने के नाते महात्मा गांधी के बताए हुए रास्ते पर चलना इसको स्वीकार नहीं, जहां महात्मा कहते थे कि अगर कोई एक थप्पड़ मारे तो दूसरी गाल आगे कर दो, लेकिन ये न समझ मियां कहते हैं कि उस हाथ को काट दो॥वो किसी ओर पर भी उठने लायक न रहे. इस फिल्म के नायक का ये बयान सुनकर तो हर कोई दंग रह गया होगा, कहां मानव-जीव हित के लेख लिखने वाली मेनका गांधी और कहां ये जुबां से नफरत का जहर फेंकने वाला वरुण, वरुण के ऐसे 'फूट डालो, राज करो' वाले बयान सुनकर तो लगता है कि मेनका गांधी लिखने में इतना व्यस्त हो गई कि वो अपने बेटे को राजनीति के दांवपेच सिखाने एवं भारतीय संसकार देने ही भूल गई. आज से पहले तो हिंदुस्तान की सरकारी शिक्षा प्रणाली पर क्लर्क पैदा करने का आरोप लगता था, लेकिन विदेश पढ़ाई

ऑस्कर विजेता स्लमडॉग एवं चुस्कियां

बच्चे अपनी तमाम मासूमियत के बावजूद इस घिसेपिटे सवाल का टेलीविजन से ही सीखा हुआ जवाब जानते थे। जी हाँ जरूर। हमारे दोस्तों ने देश का नाम रोशन किया है। स्लमडॉग मिलियनेयर का जमाल महात्मा गाँधी के बारे में पूछे जाने पर कहता है कि सुना हुआ सा लगता है नाम। झुग्गी के इन बच्चों से भी देश का इतिहास और भविष्य इतना ही दूर या करीब है तो स्लमडॉग मिलियनेयर की सफलता इनके लिए क्या है...। स्माइल पिंकी नाम की डॉक्यूमेंट्री ने भी ऑस्कर जीता। ये डाक्यूमेंट्री उत्तरप्रदेश के मिरजापुर के एक छोटे से गाँव के गरीब परिवार की पिंकी नाम की जिस बच्ची के जीवन पर आधारित है, उसकी माँ मानती है कि उसकी बेटी ने ‘अफसर’ जीता है और देश का नाम रोशन किया है और अब सरकार को उन्हें कम से कम एक छोटी दुकान खोलने के लिए पैसे देना चाहिए। ऑस्कर की खुशी में महाराष्ट्र सरकार ने भी स्लमडॉग के अजहरुद्दीन और रूबीना को मकान देने का फैसला कर लिया है, मगर हफ्ताभर लॉस एंजेलिस में बिताने वाले अजहरुद्दीन को उसके पिता ने इसलिए तमाचा जड़ दिया, क्योंकि वह पत्रकार को इंटरव्यू देने से मना कर रहा था। खबर अखबारों के पहले पन्ने पर है। कुछ दिनों के लिए

चैनलों की रंगदार होली

इस बरस की होली चैनलों की होली है। बेपानी की होते हुए भी रंगदार होली है। चैनलों ने अपने अपने नल खोल दिए हैं जिसमें से रंग बिरंगे सनसनीखेज समाचार लगातार बह रहे हैं। तरह तरह के समाचारों के रंग जिसमें बलात्कांर, खुदकुशी, रिश्वरत, घोटाले, मंदी, गंदी राजनीति तो हैं ही, वे भी है जिनका जिक्र करना ठीक नहीं है। वरना होली रंगीन से संगीन हो जाएगी। ऐसी भी कोई रोक नहीं है कि चैनलों के नल सिर्फ दो बजे दोपहर तक ही खुले रहेंगे जिस तरह बसें और मेट्रो दो बजे तक बंद रहती हैं। क्यों इनकी छुट्टी की जाती है जबकि ब्लू लाईन तो रोज ही दिन दहाड़े अपने आने के दिन से ही होली खेल रही हैं। जिस दिन उन्हें होली खेलनी चाहिए उस दिन उनकी छुट्टी कर दी जाती जबकि उस दिन वे होली खेलें तो पब्लिक को पता ही नहीं चलेगा कि रंग है या खून है। वैसे ब्लू लाईन कहने भर की होती है उनमें न लाल खून होता है न नीला ही। पीला हरा तो मिल ही नहीं सकता क्योंकि वे कीड़े मकोड़े नहीं होती हैं क्योंकि कुछ कीड़े मकोड़ों का खून नीला व कुछ का हरे रंग का भी होता है। बसों और मेट्रो के लिए तो तो पब्लिक कीड़े मकोड़े से अधिक है भी नहीं। इसलिए अगर कहीं क

पंजाब में छिड़ने वाला है धर्म युद्ध !

जहां एक तरफ चुनाव नजदीक आते राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं, वहीं दूसरी तरफ पंजाब को दंगों की आग में झुलसाने की तैयारियां भी पर चल रही हैं। आज रोजाना अजीत में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक सिख समुदाय डेरा प्रेमियों के विरुद्ध एक अभियान चलाने वाला है, जिसका नाम 'धर्म युद्ध' है. इस अभियान में करीबन 11 सदस्यीय 13 दल हैं, जिनको 'शहीदी जत्थों' का नाम दिया गया है. अभियान के नाम से और जत्थों के नाम से एक बात तो सिद्ध हो गई कि इस बार सिख समुदाय के लोग करो या मरो की नीति अपना चुके हैं. युद्ध शब्द शांति एवं अमन का प्रतीक नहीं, जब युद्ध लगता है तो करोड़ों हँसते खेलते लोग शवों में तब्दील हो जाते हैं. घरों में मातम छा जाते हैं, हँसी चीखों में बदल जाती है, चेहरे की मुस्कराहट खामोशी में बदल जाती है. जिस तरह की रणनीति कल तख्त श्री दमदमा साहिब में जत्थेदार बलवंत सिन्ह नंदगढ़ के अध्यक्षता में तैयार की गई है, उससे तो लगता है कि पंजाब एक बार फिर से दंगों की आग में झुलसने वाला है. पिछले साल सिखों एवं डेरा प्रेमियों के बीच हुए खूनी संघर्ष को भूल लोग फिर से अपनी आम जिन्दगी में लौट आए थे, लेकिन जि

खेत और ऑफिस

चित्र
खेतों के बीचोबीच एक पानी वाली मोटर और पेड़ों से घिरा एक कमरा डिग्गी में गिरते ट्यूबवेल के ताजे ताजे पानी में नहाना पेड़ों तले पड़ी खटिया पर तो कभी जमीं पे बिछा कपड़ा लेट जाना क्या अजब नजारा था कड़कती धूप में काम करना और पसीने का सिर से पांव तक आना याद है शाम ढले बैल गाड़ियों की दौड़ लगाते गांव तक आना आफिस में की- बोर्ड की टिकटिक और सड़क पर वाहनों की टीं टीं कानों को झुंझला देती है आजकल तो ऑफिस में फर्निचर पर हथौड़ों की ठकठक सिर दुखा देती है

ब्‍लॉगर्स जय होली : गुब्‍‍बारों पर रोक लगी : युवा कैसे मनाएं होली :

अब तक होली पर सिर्फ कीचड़रस पर थी पाबंदी इस बार गुब्‍बारे हैं बंदी गुब्‍बारे बिना छाई मंदी। लगे गुब्‍बारा तो होता मारने वाला है खुश न लगे तो जी खाने वाले को आता स्‍वाद। होली बनी है त्‍योहार अब रोक का समझ रहे हैं सब जो थी हास - परिहास का रंग तरंग भंग हुड़दंग का। ब्‍लॉगर्स तो पोस्‍ट लगाकर टिप्‍पणियां भेजकर भी तो खेलेंगे होली जरूर इस बार यही परंपरा चलाएं इस बार। टिप्‍पणी करना ही गुलाल लगाना माना जाएगा समझ लें शत्रु भी इसलिए मत करें कोताही और न करें गुरेज टिप्‍पणी देने में। तो हो जाए होली की शुरूआत मैंने लगा दी है पोस्‍ट और हैं मन से जो युवा वे जरूर निबाहें टिप्‍पणीधर्म है होली। जो युवा हैं तन से उनके होने में युवा कोई शक न बाकी के ख्‍याल हों जवां फिर तो सारा जहां जवां। जय हो जय हो जय हो जय होली जय होली हरी नीली काली पीली होली की जय रंगीली।

क्रिकेटरों पर हमला-एक चेतावनी

एक तरफ यहां भारतीय क्रिकेट टीम के न्यूजीलैंड की पिच पर निरंतर विकेट गिर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान से खबर आई कि श्रीलंकाई टीम पर कुछ हथियारबंद हमलावरों ने गोलीबारी कर दी, जिसमें तकरीबन आठ पुलिसकर्मी चल बसे जबकि श्रीलंका की आधी से ज्यादा टीम बुरी तरह घायल हो गई. इस खबर के एकाएक आने से मुझे इमरान खान का एक बयान याद आ गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में क्रिकेटरों को आतंकवादियों से कोई खतरा नहीं, वो पाकिस्तान की सरजमीं पर बिल्कुल सुरक्षित हैं, लेकिन जब ये ख़बर आज इमरान ने सुनी होगी तो उनको पता चल गया होगा कि देश से दूर बैठकर बयान देना कितना सरल एवं आसान. आज के हमले में महेला जयवर्धने भी घायल हुए, जिन्होंने कभी कहा था कि पाकिस्तान की सरजमीं पर खेलने से वो पाकिस्तान का अहसान लौटा देंगे, जो पाकिस्तान की टीम ने श्रीलंका में बुरे वक्त पर खेलकर उनपर किया था. मगर महेला जयवर्धने को इस बात की बिल्कुल भनक तक न थी कि हमलावर इस तरह उन पर कहर बनकर टूटेगें. आज जो कुछ लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम के समीप घटित हुआ, वो पाकिस्तान की जनता के असुरक्षित होने के अहसास के अलावा भारत के लिए किसी चेताव