वेलेंटाईन डे पर सरप्राइज गिफ्ट


शनिवार को वेलेंटाइनज डे था, हिन्दी में कहें तो प्यार को प्रकट करने का दिन. मुझे पता नहीं आप सब का ये दिन कैसा गुजरा,लेकिन दोस्तों मेरे लिए ये दिन एक यादगार बन गया. रात के दस साढ़े दस बजे होंगे, जब मैं और मेरी पत्नी बहार से खाना खाकर घर लौटे, उसने मजाक करते हुए कहा कि क्या बच्चा चाकलेट खाएगा, मैं भी मूड में था, हां हां क्यों नहीं, बच्चा चाकलेट खाएगा. वो फिर अपनी बात को दोहराते हुए बोली 'क्या बच्चा चाकलेट खाएगा ?', मैंने भी बच्चे की तरह मुस्कराते हुए शर्माते हुए सिर हिलाकर हां कहा, तो उसने अपना पर्स खोला और एक पैकेट मुझे थमा दिया, मैंने पैकेट पर जेमस लिखा पढ़ते ही बोला. क्या बात है जेमस वाले चाकलेट भी बनाने लग गए. मैंने उसको हिलाकर देखा तो उसमें से आवाज नहीं आई और मुझे लगा क्या पता जेमस वाले भी चाकलेट बनाने लग गए हों, मैंने जैसे ही खोला तो चाकलेट की तरह उसमें से कुछ मुलायम मुलायम सा कुछ निकला, पर वो चाकलेट नहीं था बल्कि नोकिया 7210 सुपरनोवा, जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी. मुझे यकीन नहीं हो रहा था, लेकिन उसने कहा ये तुम्हारा गिफ्ट है, पर मुझे यकीन नहीं हो रहा था, फिर उसने मेरे हैरत से लबलब हुए चेहरे को देखते हुए कहा, हां, मैं आज दोपहर के वक्त लेकर आई थी, तभी तो आफिस आते आते दो घंटे लग गए थे, मैंने पूछा कितने का है, वो बोली 5600 का, फिर चुटकी लेते हुए बोली नहीं नहीं 5700 का, मैंने पूछा वो कैसे, वो बोली मोटर साइकिल को पुलिस की गाड़ी उठाकर ले गई थी, जिसका जुर्माना सौ रुपया भरना पड़ा, तो हुआ ना 5700..मैंने बोला हां-हां. वो बोली तुम को कैसा लगा, ये तोहफा पाकर. मुझे याद आ गई एक पुराने दिन की जब अचानक मौसी के लड़के ने कहा था, हैप्पी तुम्हारा लेख दैनिक जागरण के फिल्मी पेज पर लगा है, और मैं उस वक्त भैंस को चारा डाल रहा था, मैंने बोला भाई मजाक मत करो, मैंने ऐसा इस लिए कहा क्योंकि लेख प्रकाशित न होने से मैं पूरी तरह दुखी था, हर बार चापलूस लोगों का छप जाता था और मेरा नहीं. जब मैंने खुद अखबार खोलकर देखा तो मेरी खुशी का कोई टिकाना नहीं रहा, कारण था कि वो लेख मेरी उम्मीद खत्म होने पर लगा, क्योंकि उसको दो महीने हो गए थे जालंधर मुख्य दफ्तर में धूल फांकतेहुए. वो खुशी और पत्नी का सरप्रार्ज वेलेंटाईन गिफ्ट की खुशी एक जैसी थी. ये दिन मेरे सुनहरे दिनों में शुमार हो गया. और आपका वेलेंटाइन डे कैसे रहा जरूर लिखना दोस्तो...इंतजार रहेगा.

टिप्पणियाँ

  1. बेनामी2/15/2009 4:38 pm

    आपका आर्टिकल बहुत अच्छा लगा... खास कर वह सरप्राईज गिफ्ट की बात जो भाभीजी 5700 रूपैयो में लेकर आई थी 5600 = मोबाइल + 100 बाईक का जुर्माना... जनक

    जवाब देंहटाएं
  2. अब कट हुए को क्‍या प्रकट करें
    जो निकट है उसी को टकटक करें
    आपको जो मिला है जरूर बाइल होगा
    बाइल नहीं हुआ तो मोबाइल होगा
    नोकिया का नाम तो मोबाइल में ही है
    खुशी छपने की जो मिलती है
    वो छिपने में नहीं मिलती है
    इसलिए छप रहे हो
    शब्‍दों को जप रहे हो

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

हार्दिक निवेदन। अगर आपको लगता है कि इस पोस्‍ट को किसी और के साथ सांझा किया जा सकता है, तो आप यह कदम अवश्‍य उठाएं। मैं आपका सदैव ऋणि रहूंगा। बहुत बहुत आभार।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

महात्मा गांधी के एक श्लोक ''अहिंसा परमो धर्म'' ने देश नपुंसक बना दिया!

सदन में जो हुआ, उसे रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल तक सीमित न करें

हैप्पी अभिनंदन में महफूज अली

हैप्पी अभिनंदन में संजय भास्कर

..जब भागा दौड़ी में की शादी

कपड़ों से फर्क पड़ता है

भारत की सबसे बड़ी दुश्मन