एकता को जमीं पर लाया कलर्स

टेलीविजन जगत की क्वीन मानी जाने वाली एकता कपूर के पांव आज से कुछ पहले जमीं पर नहीं थे, सफलता की हवा में एकता ऐसी उड़ी कि वो भूल गई थी, आखिर आना तो जमीं पर ही पड़ेगा. एक समय था जब सारे धारावाहिक एक तरफ और एकता कपूर के रोने धोने वाले सीरियल एक तरफ, एकता के 'के' शब्द ने अच्छे अच्छे टेलीविजन सीरियल वालों को सोचने पर मजबूर कर दिया था. इसमें कोई शक नहीं कि जितेंद्र की बेटी एकता कपूर ने स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले अपने सीरियलों के जरिए हर घर में काफी लम्बे समय तक राज किया. मगर अदभुत है समय का चक्कर, किसी को राजा तो किसी को फक्कर (कंगाल) बना देता है. एकता कपूर के सीरियलों ने इतनी लोकप्रियता हासिल की कि एकता को टेलीविजन जगत की क्वीन कहा जाने लगा, मगर कभी कभी सफलता भी इंसान की बुद्धि भ्रष्ट कर देती है, और इंसान को लगता है कि उसका गलत भी सही हो जाएगा, किंतु ऐसा केवल दिमाग का फातूर होता है और कुछ नहीं. दुनिया में हर चीज का तोड़ है, हर सवाल का मोड़ है. सफलता के नशे में धूत मनचहे सीरियल लोगों पर थोपने वाली एकता कपूर को जब होश आया तब तक तो उसकी दुनिया लूट चुकी थी. एकता को सफलता की माउंट एवरेस्ट से उतारने वाला कोई बड़ा चैनल एवं कोई बड़ा सितारा नहीं, बल्कि पिछले साल शुरू हुए नए टेलीविजन चैनल कलर्स के नन्हे कलाकार, जिन्होंने अपने अभिनय का ऐसा लोहा मनवाया कि एकता की रातों की नींद उड़ गई. एक दिलचस्प बात कि एकता कपूर की क्योंकि सास भी कभी बहू थी को बाहर का रास्ता एक बालिका वधू ने दिखलाया. अपने सास बहू के इस सीरियल को बचाने के लिए एकता कपूर ने तो एक बार फिर से न चाहते हुए तुलसी यानी स्मृति इरानी से हाथ मिला लिया था, लेकिन नन्ही नटखट बातूनी वकीलों की तरह बात बात पर सवाल करने वाली बालिका बधू के आगे इसकी एक नहीं चली. इतना ही नहीं टेलीविजन की पिच पर एकता कपूर टीम का एक के बाद एक विकेट गिरता जा रहा है. 'क्योंकि सास भी..' के बाद सुना है कि मार्च में स्टार एक कपूर के दो और सीरियलों को बाहर का रास्ता दिखाने जा रहा है. जिसमें करम अपना अपना एवं कसतूरी शामिल है. स्टार पल्स वालों का रवैया तो एकता पहले ही जान गई थी, तभी तो उसने एनडीटीवी इमेजिन से हाथ मिला लिया था. लेकिन अफसोस की बात है कि एनडीटीवी इमेजिन पर प्रसारित होने वाला कहानी हमारे महाभारत की बुरी तरह पिट चुका है, इसके अलावा कि इस सीरियल के कलाकारों के पहनावे को लेकर भी काफी आलोचना हुई. निरंतर मिल रही असफलता के बाद शायद एकता कपूर को 'के' एवं 'क' शब्द से भी नफरत हो गई लगता है. तभी तो उसने बंदिनी नामक धारावाहिक बनाया, वरना इस धारावाहिक का नाम भी 'के' एवं 'क' से शुरू होता. चल एकता को अब समझ तो आएगी कि सफलता के खुमार में गुणवत्ता के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. इतना ही नहीं सुन है कि सफलता के खुमार में अंधी हुई एकता अपने कलाकारों के साथ भी एक तानाशाह की तरह बर्ताव करती थी. जिसके कारण स्मृति इरानी एवं एकता के बीच दरार पड़ गई थी एवं ऐसे और भी कई कलाकार हैं, जो न चाहते हुए भी एकता के साथ जुड़े हुए थे.

टिप्पणियाँ

  1. बिल्कुल सही कहा आपने......
    अभिमान का मद पतन का कारण होता है.....जो विश्वसनीयता एकता जी खो चुकी हैं,फ़िर से हासिल करने के लिए उन्हें बड़ी मेहनत करनी पड़ेगी.

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  2. सही है ऐकता ने औरत को महज खलनायिका बना कर रख दिया1वक्त एक सा नहीं रहता अगर अती करने से पहले जान लें तो पश्चाताप नहीं करना पदता

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