तुम तो....

तुम तो दूर चली गई
लेकिन मैं तो
आज भी वहीं हूं
उन्हीं गलियों में,
उन्हीं बगीचों में,
जहां कभी हम तुम एक साथ चला करते थे/

हवाहवा दे जाती है पुरानी यादों को/
हां,आंख भर जाती है याद कर वादों को//

चुप हो जाता हूं,
जब पूछते हैं नदियां के किनारे/
कहां गए नजर नहीं आते तुम्हारे
जानशीं जान से प्यारे//

मैं खामोश हूं,
तुम ही बताओ क्या जवाब दूं/
मुझे तांकता है
किसको तोड़कर वो गुलाब दूं//

तुम्हें देखता था जहां से,
आज उसी छत पर जाने से डरता हूं/
तुम न जानो, मैं किस तरह
प्यार के गवाह सितारों का सामना करता हूं//

हँसने नहीं देती याद तेरी
रोने पर जमाना सौ सवाल करता है/
अब जाना, तुम से दूर होकर
बिरहा कितना बुरा हाल करता है//

टिप्पणियाँ

  1. तुम्हें देखता था जहां से,
    आज उसी छत पर जाने से डरता हूं/
    तुम न जानो, मैं किस तरह
    प्यार के गवाह सितारों का सामना करता हूं//

    बहुत ही अच्छी रचना रही आपकी...

    जवाब देंहटाएं
  2. कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....

    जवाब देंहटाएं

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