बनते बनते बिगड़ी किस्मत

गज्जन सिआं वो देख बस आ रही है, बस नहीं निहाले, वो तो रूह की खुराक है. पास बैठा करतारा बोलिया. ऐसा क्या है बस में, बूढ़ी उम्र में भी आंखें गर्म करने से बाज नहीं आते, ओ नहीं करतारिया, उस बस में गांव के लिए एकलौता समाचार पत्र आता है, जिसको सारा दिन गांव के पढ़े लिखे लोग पढ़कर देश के हालात को जानते हैं, अच्छा अच्छा, ओ गज्जन सिआं माफ करी, ऐसे ही गलत मलत बोल गया था, नहीं नहीं इसमें तेरा कोई कसूर नहीं, टीवी वालों ने बुजुर्गों का अक्स ही ऐसा बना दिया है. गुफ्तगू चल ही रही थी कि बस पास आई और ले लो बुजुर्ग रूह की खुराक ड्राईवर ने बोलते हुए अख्बार बुजुर्गों की तरफ फेंका. गज्जन सिआं ने अख्बार की परतें खोलते हुए कहा, आज तो पहले पन्ने पर किसी नैनो की खबर लगी है, जल्दी पढ़ो गज्जन सिआं, कोई आँखों का मुफ्त कैंप लगा होगा आस पास में कहीं, समीप बैठा करतारा बोलिया..चुटकी लेते हुए गज्जन सिआं ने कहा नहीं ओ मेरे बाप, ये ख़बर आंखों से संबंधित नहीं बल्कि टाटा ग्रुप द्वारा बनाई जा रही नैनो कार के बारे में है, करतारा नजर झुकाते हुए बोला, चल आप ही बताएं खबर में क्या लिखा है, गज्जन सिआं बोला कि अख्बार में लिखा है कि नैनो अब गुजरात में बनेगी, इसके लिए के वहां पर सरकार ने टाटा को काफी जमीं दे दी है. फिर बीच में कूदते हुए करतारा बोलिया, ये सरकारें भी अपने स्वार्थ के लिए किसानों की जमीं बड़े बड़े उद्योगपतियों को सौंप देती हैं, और किसान न घर के रहते हैं न घाट के, ऐसा कुछ नहीं करतारिया निहाला बोलिया. तुमको पता है कि पहले टाटा इस संयंत्र को पश्चिमी बंगाल में लगाने वाला था. लेकिन तेरे जैसे गंवार किसानों को बातों में उलझाकर ममता बैनरजी ने वहां से प्रोजेक्ट को हटवा दिया, बात अभी खत्म नहीं हुई कि करतारा फिर बोलिया कि ममता ने अच्छा किया, गज्जन सिआं ने अखबार एक तरफ रहते हुए कहा, तेरी मां का सिर अच्छा किया, तुमको पता है, वहां कारखाना लगने से कितने किसानों के बच्चों को नौकरी मिल जाती, इतना ही नहीं कारखाने के वहां लगने से कुछ और भी कारखाने वहां पर लगने की संभावना पैदा हो सकती थी, किसानों की जमीनों के दाम बढ़ जाते, तुम खेती से कितनी कमाई कर पाते हो, पूरा परिवार खेतों में उलझे रहते थे, हां हां बोलते हो तुम गज्जन, हम किसानों को ज्यादा सोच समझ होती थी, पल में किसी की बातों में आ जाते थे, मुझे याद है, मेरे ससुराल के सपीम एक तेल शोधक कारखाना लगा है, जिसके लगने से गांव के नौजवानों को नौकरी तो मिली ही, भूखे मर रहे मेरे सुसराल वाले रातों रात अमीर बन गए, तुमको पता है उन्होंने अपनी पांच एकड़ जमीन कितने रुपयों में एक होटल के लिए बेची है, गज्जन बोलिया हां मुझे बताया था लज्जो ने, एक करोड़ रुपए से उपर में बिकी है. बातचीत चल रही थी कि गज्जन का पोतरा उसको खाना खाने के लिए बुलाने वहां पर आ गया. आज हर तरफ ऐसी ही वार्तालाप हो रही है, ममता ने जो वहां अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के किया वो बहुत निंदनीय है, वहां के किसानों की बन रही किस्मत को बर्बाद करके रख दिया. जैसे बंगाल से टाटा दुखी होकर निकला है, लगता नहीं कि कोई और कंपनी इस राज्य की तरफ जाने की बात करेगी, टाटा के इस फैसले से केवल किसानों को ही नहीं, बल्कि भूमाफिया को बहुत बड़ा झटका लगा है

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