2007 ने किसको क्या दिया, किसी से क्या छीना

किसी ने ठीक ही कहा है कि समय से बलवान कोई नहीं और समय से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता, ये बात बिल्कुल सत्य है, अगर आप आपने आसपास रहने वाले लोगों या खुद के बीते हुए दिनों का अध्ययन करेंगे तो ये बात खुदबखुद समझ में आ जाएगी. चलो पहले रुख करते हैं बालीवुड की तरफ क्योंकि ये मेरा पसंदीदा क्षेत्र है. जैसे ही 2007 शुरू हुआ छोटे बच्चन यानी अभिषेक के दिन बदल गए, उनकी इस साल की पहली फिल्म 'गुरू' रिलीज हुई, इस फिल्म ने अभिषेक को सफलता ही नहीं बल्कि करोड़ों दिलों की धड़कन 'ऐश' लाकर इसकी झोली में डाल दी, इसके बाद आओ हम चलते खिलाड़ी कुमार की तरफ ये साल उनके लिए बहुत ही भाग्यशाली साबत हुआ क्योंकि उनकी इस साल रिलीज हुई हर फिल्म को दर्शकों ने खूब प्यार दिया, जिसकी बदौलत अक्षय कुमार सफलता की सीढ़ियों को चढ़ते हुए सफलता की शिख़र पर जाकर बैठ गए. इस साल भारी झटका बालीवुड के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली को लगा क्योंकि उनकी पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म को इस साल की सबसे फ्लाप फिल्मों में गिना जा रहा है, बेशक संजय मानते हैं कि उनकी फिल्म बहुत अच्छी थी लेकिन समीक्षाकारां ने फिल्म की आलोचना इस स्तर पर की कि उनकी फिल्म को मिलने वाले दर्शक दूर चले गए, इस बाद ये साल यशराज फिल्म बैनर के लिए भी बहुत अच्छा नहीं रहा क्योंकि उनकी इस साल रिलीज हुई फिल्मों में ज्यादातर फ्लाप फिल्में शामिल हैं. इसके अलावा 'जब वी मेट' में नज़र आए शाहिद-करीना कपूर एक दूसरे से दूर हो गए, पिछले करीबन चार सालों से चला आ रहा रिश्ता इस साल के अंतिम पड़ाव में पहुंचते ही दम तोड़ गया. अब बात करते खेल की दुनिया की, ये क्षेत्र भी लोगों का बहुत प्रिया है, सबसे पहले क्रिकेट जगत की बात करते हैं, इस बार काफी उलटफेर हुआ क्योंकि बुरे दौर से गुजर रहे राहुल द्रविड़ ने जैसे ही कप्तानी छोड़ती, वैसे महेंद्र सिन्ह धोनी की किस्मत ने पलटी खाई, वैसे भी धोनी खुद को किस्मत वाला मानते हैं, धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने ट्वेंटी-20 चैंपियनशिप जीतकर बहुत बड़ी सफलता को छूआ है, इसके अलावा भारत के माईंड मास्टर यानी विश्वनाथन आनंद ने भी दूसरी बार शतरंज में विश्वविजेता का रुतबा हासिल किया है. ये बात तो कुछ पाने की अब खोने की बात करें तो भारत के महान क्रिकेटरों में शुमार कपिल देव को एक निजी संस्थान के साथ जुड़ने के लिए बीसीसीआई से संबंधित एक प्रशिक्षण संस्थान के प्रमुख्य का पद छोड़ना पड़ा, इसके बाद दलीप वैंगसरकर का बोर्ड के साथ पंगा चल रहा है क्योंकि बोर्ड ने पदाधिकारियों पर कुछ पाबंदियां लगाई हैं जोकि दलीप वैंगसरकर गले नहीं उतर रहीं. इसके अलावा यह साल भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिए काफी दयनीय रहा क्योंकि इस साल भारतीय टीम को कोच नहीं मिल पाया, लेकिन अब जाकर जब कोच मिला तो वह मार्च 08 से आपना कार्यकाल शुरू करेगा. अब बात करते हैं कोर्ट कचहरी की कि कौन हुआ अन्दर और कौन बाहर, सबसे पहले इस साल का सबसे बड़ा फैसला था स्टाम्प घोटाले से संबंधित मामला, इस साल स्टाम्प घोटाले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम तेलगी को अदालत ने दोषी ठहराते हुए 13 साल कैद की सजा सुनाई है और इसके साथ ही 102 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया है. तेलगी के खिलाफ यह मामला पुणे रेलवे स्टेशन के पास इंडिका कार में नकली स्टाम्प पेपर पुलिस द्वारा जब्त किए जाने के बाद सात जून 2002 को मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा बालीवुड के सितारे संजय दत्त को गैरकानूनी तौर पर हथियार रखने आरोप में छ: साल कारावास की सजा हुई है, जिसके चलते उनकी आंखों को इस बार दीपावली की रोशनी देखनी नसीब नहीं हुई जबकि मोनिका बेदी को जाली पासपोर्ट मामले में बरी होने से राहत मिलगी, इसके अलावा लाल किले पर हमला करने के आरोपी मुहम्मद अशफाक की फांसी पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है, अब थोड़ी सी उसकी बात कर लें, जिसने भारत रूपी पेड़ को दीमक की तरह खा लिया है, ये है दीमक भारतीय राजनीति है. इस बार जहां एक तरफ भारत अमरीका प्रमाणु करार सत्ताधारी संप्रग के गले का फांस बन गया, वहीं दूसरी तरफ नंदीग्राम ने पच्छिमी बंगाल सरकर की नींद हाराम कर दी, प्रतिभा पाटिल के लिए यह साल अच्छा रहा क्योंकि वह राजस्थान के राज्यपाल के पद से सीधी राष्ट्रपति पद पर पहुंच गई, इस बार भाजपा का पहली बार दक्षिणी भारत में कोई मुख्यमंत्री बना था, लेकिन सात दिन तक भी वहां सरकार नहीं टिक पाई. इस साल कांग्रेस पार्टी पंजाब, उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्यों से उड़ गई जबकि उत्तर प्रदेश के शासन पर मायावती का राज हुआ तो पंजाब की सत्ता पर बादल साहब का. आजकल पूरी राजनीति गुजरात के अंदर हो रही है क्योंकि गुजरात विस चुनाव जो होने वाले हैं. इस हिंसा की बात करें तो नंदीग्राम हिंसा की आग में लगातार जल ही रहा है, इसके अलावा असम में इस साल सैंकड़े हिंदुभाषियों को मौत की नींद सुला दिया गया जबकि अतंकवादियों ने हैदराबाद मस्जिद, उत्तर प्रदेश को अपना निशाना बनाया. आखर में बात करें तो सैंसेकस की जिसने इस साल 20000 के आंकड़े को छूकर एक नया रिकार्ड कायम किया है. 
आभार
कुलवंत हैप्पी

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